इसरो ने हासिल की एक और बड़ी उपलब्धि! प्लाजम थ्रस्टर का हुआ सफल परीक्षण, जानें क्या करेगा प्लाज्मा थ्रस्टर?

भविष्य की सैटेलाइट्स में इन इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का ही इस्तेमाल किया जाएगा।;

Update: 2025-03-29 06:31 GMT

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है। इसरो ने 300 मिली न्यूटन के स्टेशनली प्लाज्मा थ्रस्टर का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण एक हजार घंटे तक किया गया। इस परीक्षण के दौरान थ्रस्टर की पूरी क्षमता 5.4 किलोवॉट का इस्तेमाल किया गया।

क्या करेगा प्लाज्मा थ्रस्टर?

प्लाज्मा थ्रस्टर सैटेलाइट्स को इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन में इस्तेमाल करने के लिए विकसित किया गया है। ये इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम की जगह लेंगे। भविष्य की सैटेलाइट्स में इन इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का ही इस्तेमाल किया जाएगा। प्लाज्मा थ्रस्टर का उपयोग करके संचार उपग्रहों की ट्रांसपोंडर क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। साथ ही इससे मिशन में लगने वाली लागत भी कम होगी। ये थ्रस्टर प्रोपेलेंट के तौर पर शेनन का इस्तेमाल करेंगे।

सेमीक्रायोजेनिक इंजन में प्रगति

इसरो ने मुताबिक एजेंसी ने सेमीक्रायोजेनिक इंजन विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सेमीक्रायोजेनिक इंजन या फिर लिक्विड ऑक्सीजन/कीरोसेन इंजन में 2000 किलोन्यूटन हाई थ्रस्ट है, जो इंजन को एलवीएम-3 को लॉन्च करने की ताकत देगा। तमिलनाडु के इसरो प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स में इसे विकसित किया जा रहा है।

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