Pahalgam Attack: घायल पर्यटकों को बचाने में जुटे CRPF कमांडो
CRPF की 116वीं बटालियन की डेल्टा कंपनी का बेस कैंप इस स्थान से लगभग चार से पांच किलोमीटर दूर है। यहीं के पास पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को हमला किया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।;
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाली टीम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की क्विक एक्शन टीम (QAT) थी। अधिकारियों के मुताबिक, टीम जब बाइसरन के मैदान पर पहुंची तो वहां पर्यटक घबराए हुए नीचे भाग रहे थे और तीन लोग घायल अवस्था में पड़े मिले।
CRPF की 116वीं बटालियन की डेल्टा कंपनी का बेस कैंप इस स्थान से लगभग चार से पांच किलोमीटर दूर है। यहीं के पास पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को हमला किया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर राजेश कुमार जब कैंप से बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि कई पोनीवालों और कुछ पर्यटकों की भीड़ जल्दी-जल्दी नीचे आ रही थी। उन्होंने इन्हें रोककर पूछा तो पोनीवालों ने बताया कि ऊपर बाइसरन में कुछ घटना हुई है और गोलियां चलने की आवाजें सुनी गई हैं। इसके बाद कमांडिंग ऑफिसर ने पास में मौजूद QAT को मौके पर रवाना किया। करीब 25 कमांडो एक कठिन और फिसलन भरे रास्ते से लगभग 40-45 मिनट का सफर तय कर बाइसरन पहुंचे।
कमांडो पूरी सतर्कता के साथ ऊपर बढ़ रहे थे क्योंकि उन पर ऊंचाई से फायरिंग या ग्रेनेड फेंके जाने की आशंका थी। इस बीच, स्थानीय CRPF यूनिट ने पहलगाम कस्बे के चारों ओर चेकपोस्ट लगा दिए और घटना स्थल के आसपास के अहम इलाकों को सुरक्षित कर लिया। डेल्टा यूनिट की असिस्टेंट कमांडेंट राशी सिकरवार को महिलाओं और बच्चों की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया क्योंकि कई लोग घायल थे, डर के मारे चीख रहे थे।
जब टीम दोपहर करीब ढाई बजे बाइसरन पहुंची, तो वहां तीन लोग गोलियों से घायल पड़े मिले और कई महिलाएं, बच्चे और पुरुष अलग-अलग जगहों पर छिपे हुए थे। QAT ने घायलों को सुरक्षित बाहर निकाला और इलाके की जल्दी से तलाशी भी ली, क्योंकि यह स्पष्ट था कि हमला आतंकियों ने किया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्थानीय थाना प्रभारी (SHO) भी मौके पर पहुंच चुके थे और CRPF के साथ मिलकर स्थिति को नियंत्रित किया। अधिकारियों ने बताया कि कई शव मैदान में बिखरे पड़े थे, कुछ शव एक जगह इकट्ठा भी मिले। तीन में से एक घायल व्यक्ति ने दम तोड़ दिया, जबकि दो अन्य को पास के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
करीब 30 से 40 पर्यटकों को डेल्टा कंपनी के कैंप में रखा गया और उन्हें भोजन व पानी उपलब्ध कराया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डेल्टा कंपनी के अधिकतर जवान इलाके में तैनात हैं और बेस कैंप पर आमतौर पर केवल 22-24 कर्मी मौजूद रहते हैं। पास में राष्ट्रीय राइफल्स (RR) की तीसरी बटालियन की भी एक यूनिट है।
बाइसरन और कश्मीर घाटी के अन्य पर्यटन स्थलों पर आमतौर पर स्थायी सुरक्षा तैनाती नहीं होती। ऊंचे इलाकों और घने जंगलों में नियमित गश्त और अमरनाथ यात्रा से पहले अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जाती है। हमले के बाद पुलिस, अर्धसैनिक बलों और सेना को अलर्ट रहने और तलाशी अभियान तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है, जिसमें 40 CRPF जवान शहीद हुए थे।