Rajya Sabha: CEC की नियुक्ति में CJI का न हो दखल, सरकार ने राज्यसभा में पेश किया विधेयक

Update: 2023-08-10 09:37 GMT

सरकार ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की भूमिका को खत्म करने के लिए आज राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया है। हालांकि, फिलहाल बिल के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। वहीं, बिल पेश होने से पहले कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि वह चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने की कोशिश कर रही है.

मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसका उद्देश्य मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यकारी हस्तक्षेप से बचाना था। न्यायालय ने आदेश दिया था कि उनकी नियुक्तियाँ राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक समिति की सलाह पर की जाएंगी।न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एकमत फैसले में कहा था कि यह मानदंड तब तक लागू रहेगा जब तक कि संसद इस मुद्दे पर कानून नहीं बना लेती।

वैकेंसी अगले साल आएगी

आपको बता दें, चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे अगले साल 14 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे. ऐसे में अगले साल की शुरुआत तक चुनाव आयोग में वैकेंसी निकलेगी. उनकी सेवानिवृत्ति चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 2024 लोकसभा चुनाव की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले होगी। पिछले दो मौकों पर आयोग ने मार्च में संसदीय चुनाव की घोषणा की थी।

प्रधानमंत्री के हाथ की कठपुतली बनाने की कोशिश

इससे पहले, कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्तों और कार्यकाल को विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा लाए जाने वाले विधेयक को 'असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित' बताया और कहा कि वह हर मंच पर इसका विरोध करेगी। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी. वेणुगोपाल ने यह भी आरोप लगाया कि यह कदम चुनाव आयोग को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों की कठपुतली बनाने का एक प्रयास था।

वेणुगोपाल ने कहा कि यह चुनाव आयोग को पूरी तरह प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने की खुली कोशिश है. सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा फैसले के बारे में क्या कहना है जो एक निष्पक्ष आयोग की जरूरत की बात करता है? प्रधानमंत्री को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की जरूरत क्यों महसूस होती है? उन्होंने कहा कि यह एक असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक है. हम हर मंच पर इसका विरोध करेंगे।'

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