Gyanvapi Case: इसलिए तहखानों का सर्वे जरूरी;15 अगस्त 1947 को परिसर का धार्मिक चरित्र क्या था? वादिनी का तर्क

Update: 2024-02-07 06:07 GMT

ज्ञानवापी के बंद तहखानों एस-1 और एन-1 के एएसआई से सर्वे की मांग पर मंगलवार को एडीजे प्रथम अनिल कुमार पंचम की अदालत में सुनवाई हुई। मां शृंगार गौरी केस की वादिनी राखी सिंह के आवेदन पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से आपत्ति दाखिल की गई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तिथि 15 फरवरी नियत कर दी।

राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी और अनुपम द्विवेदी अदालत में पेश हुए। कहा कि ज्ञानवापी परिसर के बंद तहखानों का एएसआई से सर्वे करना जरूरी है। ताकि, 15 अगस्त 1947 को परिसर का धार्मिक चरित्र क्या था, इसका पता चल सके।

ज्ञानवापी में दक्षिण की तरफ एस-1 और उत्तर की तरफ एन-1 तहखाने का सर्वे नहीं हो सका है। दोनों के अंदर जाने का रास्ता ईंट-पत्थर से बंद किया गया है। बंद दरवाजों के ईंट-पत्थर पर पूरी इमारत का बोझ नहीं है। ऐसे में ईंट-पत्थरों को हटाकर और वर्तमान इमारत को नुकसान पहुंचाए बगैर सभी बंद तहखानों का वैज्ञानिक सर्वे हो सकता है।

वहीं, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने एएसआई सर्वे के आवेदन का विरोध किया। कहा कि मूल वाद में एएसआई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया ही नहीं गया है। फिर, सर्वे का आदेश कैसे दिया जा सकता है। इस पर हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पूर्व में निर्धारित कर चुका है। सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अनुसार एएसआई को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है।

मुकदमे की मांग पर डीजीसी फौजदारी रखेंगे पक्ष

ज्ञानवापी में अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग जैसी आकृति को क्षति पहुंचाने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के मामले में वादी के अधिवक्ताओं ने बहस पूरी कर ली। बुधवार को डीजीसी फौजदारी सरकार का पक्ष कोर्ट में रखेंगे।

यह प्रार्थना पत्र बजरडीहा निवासी विवेक सोनी और चितईपुर के जयध्वज श्रीवास्तव ने कोर्ट में दाखिल किया है। इससे पहले इस प्रार्थना पत्र को स्पेशल सीजेएम शिखा यादव की अदालत ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था। उसके बाद जिला जज की अदालत में रिवीजन दाखिल किया गया। वहां से प्रार्थना पत्र एडीजे चतुर्दश की कोर्ट में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किया गया है।

अर्जेंट वाद की सुनवाई अब 15 फरवरी को

सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में शैलेंद्र योगीराज की ओर से दाखिल अर्जेंट वाद की सुनवाई टल गई। सुनवाई के लिए अगली तिथि 15 फरवरी नियत की गई है। प्रकरण के अनुसार, शैलेंद्र योगीराज ने ज्ञानवापी में मिली शिवलिंग जैसी आकृति के पूजा-पाठ और राग-भोग को लेकर अर्जेंट वाद दाखिल किया है।

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