BJP: बीजेपी में हो सकते हैं बड़े बदलाव; PM मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा की हाई लेवल मीटिंग के बाद अटकलें

बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने जेपी नड्डा, बीएल संतोष और आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारी अरुण कुमार के साथ कम से कम पांच मैराथन बैठकें कीं। 5 जून, 6 जून और 7 जून को इन शीर्ष नेताओं ने बीजेपी मुख्यालय में लंबी बैठक की और बदलाव का खाका तैयार किया.

Update: 2023-06-29 06:39 GMT

बीजेपी में बड़े बदलाव को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही हैं. इस बीच 28 जून की देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री आवास पर हुई मुलाकात में सरकार और संगठन में बड़े फेरबदल पर चर्चा हुई. इसमें चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. इन राज्यों से कुछ लोगों को सरकार में लाया जा सकता है, वहीं कुछ मंत्रियों को संगठन में बेहतर कामकाज के लिए भेजा जा सकता है. जुलाई के दूसरे सप्ताह के बाद होने वाले मानसून सत्र से पहले इस बदलाव को मूर्त रूप दिया जा सकता है.

दरअसल, इस बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने जेपी नड्डा, बीएल संतोष और आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारी अरुण कुमार के साथ कम से कम पांच मैराथन बैठकें की थीं. 5 जून, 6 जून और 7 जून को इन शीर्ष नेताओं ने बीजेपी मुख्यालय में लंबी बैठक की और बदलाव का खाका तैयार किया. प्रधानमंत्री के साथ बैठक में इन बदलावों पर चर्चा की गई और पीएम ने बदलावों को मंजूरी दे दी.

किसकी किस्मत बदलेगी?

पार्टी में कई नेताओं की किस्मत बदल सकती है तो कुछ नेताओं को संगठन में भेजकर चुनाव के काम में लगाया जा सकता है. पार्टी चुनाव वाले राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले कुछ नेताओं को चुनाव प्रभारी नियुक्त कर सकती है.

वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेन्द्र यादव की जिम्मेदारी बढ़ सकती है। बिहार में बढ़ी राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए राज्य के कुछ नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी जा सकती है.

तेलंगाना में पार्टी अध्यक्ष बंडी संजय कुमार को लेकर कार्यकर्ताओं में काफी गुस्सा था, वहां भी कुछ बदलाव कर चुनावी समीकरण सुधारने की कोशिश की जा सकती है.

पार्टी की चुनौतियाँ बढ़ गईं

जिस तरह से विपक्षी दलों ने पटना में एकता बैठक कर बीजेपी को चुनौती देने की कोशिश की है, उससे पार्टी को भी अपनी चुनावी तैयारियों को फिर से दुरुस्त करने की जरूरत महसूस हुई है. कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजों ने भी पार्टी को अपनी चुनावी रणनीति पर दोबारा विचार करने की जरूरत बता दी है. कांग्रेस ने जिस तरह मुफ्त चुनावी वादे कर विभिन्न राज्यों में चुनावी समीकरणों में नया पेंच फंसाया है, उससे निपटना केंद्र सरकार के सामने एक नई चुनौती बन गई है। माना जा रहा है कि बदलाव में इन सभी चुनौतियों से निपटने की रणनीति दिख सकती है.

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