हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन ने कंपनी बंद किया क्यों? जानें कारण

Update: 2025-01-16 10:27 GMT

नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन ने आज गुरुवार को अपनी कंपनी को बंद करने का चौंकाने वाला फैसला लिया है। वित्तीय और अकाउंटिंग अनियमितताओं को उजागर करने वाली यह फर्म 2017 में स्थापित की गई थी। अपने संचालन के दौरान इस कंपनी ने कई हाई-प्रोफाइल खुलासे किए, जिनमें भारत के उद्योगपति गौतम अडानी और मार्केट रेगुलेटरी संस्था SEBI पर की गई रिपोर्ट सबसे ज्यादा चर्चित रही।

कंपनी बंद करने का कारण

नाथन एंडरसन ने स्पष्ट किया कि हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का निर्णय पूरी तरह व्यक्तिगत और सोच-समझकर लिया गया है। उन्होंने कहा कि कोई बड़ा खतरा, स्वास्थ्य समस्या या व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है। कंपनी की स्थापना जिस उद्देश्य के लिए की गई थी, वह पूरा हो चुका है। इसलिए इसे बंद करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि यह फैसला पिछले साल के अंत से ही टीम और परिवार के साथ साझा किया जा रहा था। जब सभी प्रमुख मामलों पर काम पूरा हो गया, तब जाकर इसे बंद करने का फैसला लागू किया गया।

संघर्षों और शुरुआती चुनौतियों का खुलासा

नाथन एंडरसन ने अपनी शुरुआती कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए बताया कि जब उन्होंने इसकी शुरुआत की, तो उनके पास पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं थे। उसके बाद कंपनी शुरू होते ही उन्हें तीन बड़े कानूनी मुकदमों का सामना करना पड़ा। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनके पास किराया देने के पैसे भी नहीं थे। उनके नवजात शिशु के साथ बेदखली की स्थिति तक आ गई थी। एंडरसन ने स्वीकार किया कि अगर विश्वस्तरीय व्हिसलब्लोअर वकील ब्रायन वुड का समर्थन नहीं मिलता, तो वह अपने सफर की शुरुआत में ही हार मान लेते।

नाथन एंडरसन की प्रेरक सोच

उन्होंने कहा कि मैं गोल्फ नहीं खेलता, सही कपड़ों की समझ नहीं थी, न ही सेल्स का अनुभव था। मैं बस सच्चाई उजागर करने के जुनून के साथ आगे बढ़ा। मेरे पास एक ही विकल्प था – हार न मानना और आगे बढ़ते रहना।

उपलब्धियां और विरासत

हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई देशों में वित्तीय घोटालों का पर्दाफाश किया और बड़े कॉर्पोरेट्स को जवाबदेही के दायरे में लाने का काम किया। नाथन एंडरसन के नेतृत्व में यह फर्म पारदर्शिता और सत्य की प्रतीक बनी रही।

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