ये क्या हो रहा है डॉक्टर साहब! आप रोग पकड़ नहीं पाए, ChatGPT ने कैंसर पहचान कर बचाई जान, जरूर जानें यह मामला

अमेरिका की 40 वर्षीय लॉरेन बैनन ने दावा किया है कि ChatGPT ने उनकी जान बचाई। उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने डॉक्टरों की सलाह मान ली होती, तो शायद उनकी गर्दन में छिपा कैंसर पूरे शरीर में फैल गया होता।;

Update: 2025-04-26 07:35 GMT

नई दिल्ली (शुभांगी)। अमेरिका की 40 वर्षीय लॉरेन बैनन ने दावा किया है कि ChatGPT ने उनकी जान बचाई। उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने डॉक्टरों की सलाह मान ली होती, तो शायद उनकी गर्दन में छिपा कैंसर पूरे शरीर में फैल गया होता। लॉरेन का कहना है कि डॉक्टर उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे थे और उन्हें रयूमेटॉइड आर्थराइटिस और एसिडिटी जैसी मामूली बीमारियों का नाम देकर वापस भेज रहे थे।

जब डॉक्टरों ने किया नजरंदाज, तब AI बना सहारा

लॉरेन, जो उत्तर कैरोलिना और यूएस वर्जिन आइलैंड्स के बीच रहती हैं, ने बताया कि उन्हें अचानक तेज़ पेट दर्द और तेजी से वजन कम होने जैसी तकलीफें होने लगीं। उन्होंने कई डॉक्टरों से संपर्क किया लेकिन सभी ने उन्हें गलत सलाह दी। इस निराशा में उन्होंने ChatGPT की मदद लेने का फैसला किया।

ChatGPT ने बताया हाशिमोटो डिजीज का शक

ChatGPT को उन्होंने अपने लक्षण बताए और पूछा कि रयूमेटॉइड आर्थराइटिस से मिलते-जुलते और कौन से रोग हो सकते हैं। चैटबॉट ने हाशिमोटो थायरॉइडाइटिस की आशंका जताई और उन्हें TPO एंटीबॉडी टेस्ट करवाने की सलाह दी। शुरुआत में डॉक्टरों ने इस संभावना को नकार दिया क्योंकि परिवार में इसका कोई इतिहास नहीं था, लेकिन लॉरेन ने जिद की कि टेस्ट किया जाए।

टेस्ट में हुआ बड़ा खुलासा

टेस्ट कराने के बाद थायरॉइड में दो छोटी गांठें मिलीं, जो बाद में कैंसर निकलीं। डॉक्टरों ने माना कि कैंसर अभी शुरुआती अवस्था में था और अगर देरी होती तो ये शरीर में फैल सकता था।

लॉरेन ने कहा, “अगर मैंने डॉक्टरों की दी गई दवाइयां ले ली होती और ChatGPT पर भरोसा न किया होता, तो आज ये कैंसर शरीर में फैल चुका होता। मैं थकान जैसे हाशिमोटो के सामान्य लक्षणों से भी परेशान नहीं थी, इसलिए शक नहीं हुआ। लेकिन मुझे अंदर से लग रहा था कि कुछ गंभीर है।”

दूसरों को भी दी सलाह

लॉरेन ने दूसरों को भी सलाह दी कि ChatGPT जैसी तकनीक का प्रयोग करें, लेकिन सावधानी और डॉक्टर की सलाह के साथ। “यह जानलेवा नहीं है, बल्कि कभी-कभी यह नई दिशा दिखा सकता है,” उन्होंने कहा, “यह कहानी हमें यह सिखाती है कि तकनीक का सही प्रयोग सही समय पर जान बचा सकता है। हालांकि डॉक्टरों की भूमिका अहम है, लेकिन सवाल पूछना और खुद जानकारी जुटाना भी जरूरी है।

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