सरकारी फंड प्राप्त अस्पताल में फर्जी डॉक्टर का कहर; दिल की सर्जरी करते थे नकली डॉक्टर साहब, गईं 7 जानें
NHRC को शिकायत मिली थी कि एक फर्जी डॉक्टर ने हृदय की सर्जरी की और इससे कई लोगों की जान चली गई। साथ ही यह भी आरोप है कि जिस मिशनरी अस्पताल में यह सर्जरी की गई, उसे आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी फंड भी मिल रहा था।;
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा इलाज किए जाने के बाद सात मरीजों की मौत हो गई है। इस मामले को गंभीर मानते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने जांच शुरू कर दी है। आयोग की एक टीम 7 से 9 अप्रैल तक दमोह में रहकर जांच करेगी।
NHRC के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने जानकारी दी कि आयोग को शिकायत मिली थी कि एक फर्जी डॉक्टर ने हृदय की सर्जरी की और इससे कई लोगों की जान चली गई। साथ ही यह भी आरोप है कि जिस मिशनरी अस्पताल में यह सर्जरी की गई, उसे आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी फंड भी मिल रहा था।
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने कहा कि मामले की जांच रिपोर्ट कलेक्टर सुधीर कोचर को सौंप दी गई है, हालांकि उन्होंने मृतकों की संख्या स्पष्ट नहीं की।
शिकायत में कहा गया है कि अस्पताल में “डॉ. एन जॉन कैम” नाम से मरीजों का इलाज कर रहे व्यक्ति का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। उसने खुद को लंदन से प्रशिक्षित बताकर लोगों को गुमराह किया और यूके के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर जॉन कैम का नाम इस्तेमाल किया।
बताया जा रहा है कि वह जनवरी 2025 में अस्पताल से जुड़ा और फरवरी तक दर्जनभर से ज्यादा सर्जरी कर चुका था। इसके बाद वह अचानक गायब हो गया।
असली डॉ. जॉन कैम ने सोशल मीडिया पर इस फर्जीवाड़े को लेकर चेतावनी भी दी थी।
जानकारी ये भी मिली है कि नरेंद्र यादव के खिलाफ पहले से ही तेलंगाना में एक एफआईआर दर्ज है, जिसकी पुष्टि की जा रही है।
यह अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आता है, जिससे यह सवाल भी उठ रहे हैं कि कहीं सरकारी पैसों का गलत इस्तेमाल तो नहीं हुआ। अस्पताल प्रबंधन ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है।