बदायूं से चुनाव नहीं लड़ेंगे शिवपाल सिंह यादव? सपा में फिर बदल सकता है उम्मीदवार; ये सीट है चाचा की पसंद
बदायूं में सियासत करवट ले सकती है। बदायूं सीट पर सपा का उम्मीदवार फिर से बदल सकता है। इस बार चर्चा है कि शिवपाल सिंह यादव बदायूं से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। वह किसी और सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
लोकसभा चुनाव को लेकर बदायूं में सपा की सियासत करवट ले सकती है। एक बार फिर उम्मीदवार बदलने के संकेत सामने आए हैं। सपा के दिग्गजों में हर स्तर पर दो तरह की राय सामने आईं हैं। एक बड़ा वर्ग दो बार बदायूं से सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को फिर से उम्मीदवार बनाना चाहता है, जबकि सपा के ही कुछ नेता धर्मेंद्र यादव से खफा हैं।
वे उनको न लड़ाए जाने का आग्रह पिछले दिनों सपा मुखिया अखिलेश यादव से भी कर चुके हैं। इसके बाद ही धर्मेंद्र यादव के स्थान पर शिवपाल सिंह यादव का नाम आया था। अब सपा के सूत्रों का कहना है कि खुद शिवपाल सिंह यादव बदायूं से चुनाव लड़ने के लिए उत्साहित नहीं हैं।
संभल उनकी पसंद बताई जा रही है। इसलिए पहले उनका बदायूं आगमन टला, फिर लगातार दूसरी बार उनके बेटे आदित्य यादव का भी दौरा टल गया। आदित्य यादव को अपने पिता शिवपाल यादव की चुनावी कमान संभालने के लिए यहां आना था। उनका दो बार दौरा लगा पर एक बार भी नहीं आए।
सपाइयों ने रविवार दोपहर बताया था कि आदित्य यादव सोमवार को आ रहे हैं। सपाइयों ने उनके स्वागत और चुनावी अभियान की शुरूआत को लेकर तैयारी बैठक कर ली, लेकिन शाम सात बजे उनका कार्यक्रम निरस्त होने की जानकारी सामने आई। इसकी पुष्टि सपा के स्थानीय पदाधिकारियों ने भी की।
बताया गया कि आदित्य यादव का कार्यक्रम टल गया है। इससे अब उम्मीदवार बदले जाने की संभावना जताई जाने लगी है। इसकी पुष्टि इससे भी होती है कि अब तक कोई चुनावी बैठक भी नहीं हुई है। फिलहाल, स्थानीय पदाधिकारियों की निगाहें नेतृत्व के फैसले पर टिकी हैं।
उम्मीदवार को लेकर भाजपा और बसपा नेताओं की नेतृत्व पर टिकी निगाहें
लोकसभा चुनाव की बिसात बिछने लगी है। भाजपा ने प्रत्याशी को लेकर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बदायूं मुस्लिम और यादव बहुल है। इसी समीकरण से किसी समय यह सपा की मजबूत सीट मनानी जाती थी, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को शिकस्त देने के लिए भाजपा ने संघमित्रा मौर्य को मैदान में उतारा था।
धर्मेंद्र यादव हार गए थे। चुनाव के बाद सियासी घटनाक्रम बदलता रहा। संघ मित्रा के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में रहे। सपा में रहते केंद्र व प्रदेश सरकार पर जमकर सियासी हमले किए। तब से भाजपा के अंदर उनकी बेटी के टिकट लेकर संशय हो गया है। पहली लिस्ट में नाम न आने पर संशय और बढ़ा है।
सपा के लिए चुनौती हैं सलीम शेरवानी और आबिद रजा
बदायूं सीट को सपा ने अपने पाले में करने के लिए शिवपाल सिंह यादव को मैदान में उतारा है। यह अलग बात है कि शिवपाल सिंह के आने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरबानी, सपा राष्ट्रीय सचिव रहे आबिद रजा की चुनौती सामने आई है। दोनों ने सेक्युलर फ्रंट बनाकर सहसवान में बड़ी रैली की। इसके बाद सपा के लिए एक चुनौती सामने आ रही है।