टमाटर की बढ़ी कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र ने बनाई रणनीति; तमिलनाडु में लोगों को मिली कुछ राहत
भीषण गर्मी, कम उत्पादन और बारिश में देरी से टमाटर की खुदरा कीमतें देश के कुछ हिस्सों में अब 120 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं। थोक बाजारों में यह 70 रुपये किलो तक है। टमाटर के साथ कुछ सब्जियों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं।टमाटर की आसमान छूती कीमतों को लेकर सरकार भी हरकत में आ गई है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि यह कीमतें अस्थाई हैं और मौसमी हैं। जल्द ही कीमतें नीचे आ जाएंगी। कुछ इलाकों में बारिश से परिवहन पर असर पड़ा है। इसलिए कीमतों में तेजी है।इस बीच टमाटर की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय टमाटर ग्रैंड चैलेंज शुरू करेगा। इसमें टमाटर के उत्पादन, प्रसंस्करण व भंडारण में सुधार के लिए नए विचार आमंत्रित किए जाएंगे। उपभोक्ता मामलों के सचिव ने बताया कि चैलेंज अब से शुरू होगा। नए विचारों से प्रोटोटाइप बनाएंगे और फिर इसे आगे बढ़ाएंगे।उन्होंने बताया कि हर साल इस समय ऐसा होता है। दरअसल, टमाटर बहुत जल्द खराब होने वाला खाद्य उत्पाद है और अचानक बारिश होने से इसकी ढुलाई पर असर पड़ता है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 27 जून को अखिल भारतीय स्तर पर टमाटर की औसत कीमत 46 रुपये प्रति किलो रही। हालांकि, इसकी अधिकतम कीमत 122 रुपये प्रति किलो भी दर्ज की गई है। टमाटर के साथ कुछ सब्जियों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं।इस बीच तमिलनाडु में सरकार ने टमाटर के बढ़ते दामों पर लगाम लगाना शुरू भी कर दिया है। यहां फार्म फ्रेश आउटलेट्स (एफएफओ) पर टमाटर बेचे जाएंगे। एफएफओ में टमाटर 68 रुपये प्रति किलो बिकेगा। एफएफओ में 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर टमाटर बेचने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। तमिलनाडु सहकारिता, खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री पेरियाकरुप्पन ने बताया कि गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देने के लिए, टमाटर की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
बारिश की वजह से आपूर्ति बाधित होने से बढ़े दाम
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में दूध और फल-सब्जियों की बिक्री करने वाली मदर डेयरी के स्टोर पर भी टमाटर का भाव एक हफ्ते में ही दोगुना होकर करीब 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बारिश होने से टमाटर की आपूर्ति बाधित होने से इसके दाम में उछाल आया है। मदर डेयरी के प्रवक्ता ने बताया कि मानसून आने से टमाटर की फसल इस समय मौसमी बदलावों से गुजर रही है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश होने से टमाटर की फसल प्रभावित हुई है और इसकी आपूर्ति भी मांग की तुलना में कम हो गई है।
2022-23 में टमाटर का उत्पादन बेहतर
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, फसल सत्र 2022-23 में टमाटर का उत्पादन 2.062 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जबकि इसके एक साल पहले यह 2.069 करोड़ टन रहा था।बारिश से फसलों को नुकसान
व्यापारियों के मुताबिक, मई में टमाटर की कीमतें थोक बाजार में 3-5 रुपये किलो और खुदरा बाजार में 10-20 रुपये किलो थीं। लेकिन जून में यह अचानक बढ़ गई और अब 100 रुपये के पार है। पिछले हफ्ते में टमाटर की कीमतें तीन गुना बढ़ी हैं। हरियाणा व उत्तर प्रदेश से टमाटर की आपूर्ति कम होने से बंगलूरू से टमाटर आ रहा है। हाल में बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है। इससे व्यापारी तारों के भरोसे पौधों को खड़ा कर रहे हैं। दिल्ली के व्यापारी महाराष्ट्र के किसानों से टमाटर मंगाने के लिए बात कर रहे हैं।