भाजपा चंडीगढ़ मेयर का चुनाव जीत गई , आगे क्या करेगा INDIA गठबंधन?

Update: 2024-01-30 09:29 GMT

चंडीगढ़ में शहरी निकाय चुनाव में मेयर पद पर भाजपा का कब्जा बरकार है। पार्टी के उम्मीदवार मनोज सोनकर को मेयर घोषित कर दिया गया है। आप और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है। मनोज सोनकर ने INDIA गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को 4 वोटों से हरा दिया। पीठासीन अधिकारी ने आठ वोट अमान्य करार दिए। इस पर आप और कांग्रेस ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर कई वोटों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए। कांग्रेस और आप पार्षदों का आरोप है कि अनिल मसीह वीडियो में कई वोटों पर पेन चलाते हुए नजर आए हैं। वीडियो में भी इसके सबूत हैं।

बता दें कि 18 जनवरी को नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए मतदान होने थे लेकिन इसे ऐन वक्त पर इन्हें स्थगित कर दिया गया था। उस वक्त कहा गया कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबीयत अचानक खराब हो गई। इस वजह से चुनाव को स्थगित कर दिया गया।

इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने साथ मिलकर उम्मीदवार उतारे थे। मेयर पद के उम्मीदवार आप से थे तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवार कांग्रेस से हैं। 

चंडीगढ़ में शहरी निकाय के चुनाव का कार्यक्रम क्या?

पहले चंडीगढ़ में नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए 13 जनवरी को सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक नामांकन दाखिल किया था। 18 जनवरी को चुनाव होने थे। सुबह 11 बजे से चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षदों को मेयर पद के उम्मीदवारों के लिए वोट डालना था। इसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए मतदान होना था, लेकिन सुबह पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबीयत खराब होने की खबर आई। इसके चलते अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया।

अब मंगलवार को पहले नगर निगम के मेयर पद के लिए चुनाव हुए जिसमें भाजपा को जीत मिली। भाजपा के मनोज सोनकर को मेयर घोषित कर दिया गया है। सोनकर को 16 वोट मिले। वहीं, INDIA गठबंधन के उम्मीदवार को केवल 12 वोट से संतोष करना पड़ा। आठ वोट अमान्य करार दिए गए।

किस दल के कितने पार्षद?

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं। वहीं, चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर भी इन चुनावों में वोट डालने के लिए पात्र थीं। इस तरह से कुल 36 मतदाताओं ने इस चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सदन में भाजपा के 14 पार्षद, आप के 13 तो कांग्रेस के सात पार्षद हैं। हरदीप सिंह अकाली दल के एक मात्र पार्षद हैं। वहीं, सांसद किरण खेर भाजपा से हैं।

इस तरह से संख्या बल के लिहाज से भाजपा के पक्ष में 15 और INDIA गठबंध के पक्ष में 20 वोट थे। वहीं, अकाली पार्षद ने दावा किया था कि अगर मेयर चुनाव में नोटा का विकल्प नहीं होगा तो वह बहिष्कार करेंगे। हालांकि, उन्होंने भी वोट डाला। अकाली पार्षद का वोट किसके पक्ष में पड़ा इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया। भाजपा को अपने 15 वोट के अलावा एक अतरिक्त वोट भी मिला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह वोट अकाली पार्षद हरदीप सिंह का हो सकता है।

वहीं, INDIA गठबंधन के 20 पार्षदों में से सिर्फ 12 के वोट मान्य करार दिए गए। जबकि, आठ के वोट अमान्य हो गए। इस तरह से संख्या बल में बहुमत से कम होने के बाद भी भाजपा ने मेयर की कुर्सी पर कब्जा कर लिया।

यह चुनाव कैसे होते हैं?

चंडीगढ़ में हर साल मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए चुनाव कराए जाते हैं। इन सभी का कार्यकाल एक साल का ही होता है। इस साल मेयर पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मेयर पद के चुनाव में जनता वोट नहीं करती है। जनता पार्षद चुनती है जो इस चुनाव में वोट डालते हैं। 

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