नई दिल्ली। पिछले दो ढाई दशकों से राजनीति में सेहत की सियासत भी खूब देखने को मिल रही है। लालू यादव को देख लीजिए, मेडिकल ग्राउंड पर बेल लेकर क्या शानदार चुनावी परफॉर्मेंस दे रहे हैं। सेहत की सियासत के तहत अकेले लालू यादव खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर जेल से बाहर आने वाले नहीं है। ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। अब इसी फेहरिस्त में अगला नाम जुड़ा है अरविंद केजरीवाल का।
अब आम आदमी पार्टी केजरीवाल की बिगड़ी तबीयत की वकालत करते हुए उनकी रिहाई की मांग कर रही है। आतिशी ने तो बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि महज 12 दिन में अरविंद केजरीवाल का वजन 4:30 किलो घट गया जबकि वह गंभीर रूप से शुगर के मरीज हैं। लेकिन जब इसकी छानबीन की गई तो अरविंद केजरीवाल की सेहत नॉर्मल निकली, इस बात की पुष्टि जेल के डॉक्टरों ने की है। जेल प्रशासन ने दावा किया है कि अरविंद केजरीवाल जब 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल में आए थे तब उनका वजन 65 किलो शुगर 139 और बीपी 120/82 था। 3 अप्रैल को भी उनका वजन 65 किलो और शुगर और बीपी पहले की तरह नॉर्मल था। ऐसे में यह सवाल उठाए जा रहा है कि केजरीवाल की तबीयत खराब होती तो ईडी की हिरासत में भी होती और तिहाड़ जेल आने पर तो और खराब हो गई होती।
हांलाकि यह बात अलग है की करोड़ों के भवन से उठकर जेल में बिना एसी के बैरक में रहने के दौरान केजरीवाल की तबीयत का नासाज होना लाजमी है।
चलिए, सेहत की सियासत की चर्चा चली है तो बता दे कि इससे पहले मेडिकल ग्राउंड पर जमानत पर बाहर आने वाले कौन-कौन से प्रमुख नेता रहे हैं जैसे 2008 में प्रज्ञा ठाकुर, 2023 में नवाब मलिक, 2023 में चंद्रबाबू नायडू, 2022 में अनिल देशमुख आदि।