सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा- पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी बदतर, जानें पूरा मामला

अदालत ने कहा कि बिना अनुमति के काटे गए 454 पेड़ों से बने हरित क्षेत्र को दोबारा बनाने में कम से कम 100 साल लगेंगे।;

Update: 2025-03-26 05:45 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की अवैध कटाई करने वाले पर सख्त एक्शन लिया है। यहां तक कि कोर्ट ने इस मामले में शख्स पर जुर्माना लगाया है। काटे गए हर पेड़ के बदले कोर्ट ने 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हालांकि पेड़ों को काटने वाले शख्स ने अपनी गलती मान ली है। उसने अदालत से जुर्माना कम करने की मांग की। लेकिन अदालत ने इसे ठुकरा दिया। इस शख्स ने कुल 454 पेड़ काटे थे।

पीठ ने कहा कि पर्यावरण के मामले में कोई दया नहीं होनी चाहिए

बता दें कि न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने ताज संरक्षित क्षेत्र में 454 पेड़ों को काटने वाले व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया। वहीं इस मामले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। पीठ ने कहा कि पर्यावरण के मामले में कोई दया नहीं होनी चाहिए। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी बदतर है। अदालत ने कहा कि बिना अनुमति के काटे गए 454 पेड़ों से बने हरित क्षेत्र को दोबारा बनाने में कम से कम 100 साल लगेंगे।

हालांकि पीठ ने आगे सुनवाई की दौरान कहा कि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट को भी स्वीकार कर लिया है। रिपोर्ट में मथुरा-वृंदावन स्थित डालमिया फार्म में 454 पेड़ काटने वाले शिव शंकर अग्रवाल पर प्रति पेड़ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी।

अदालत ने जुर्माना राशि कम करने से मना कर दिया

दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखा था। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। लेकिन अदालत ने जुर्माना राशि कम करने से मना कर दिया। अदालत की से कहा कि अग्रवाल को पास के जगह पर पौधारोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए जबकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका का निपटारा अनुपालन के बाद ही किया जाएगा। 

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