ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे.., सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर बोले जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने को कहा जा रहा है;

Update: 2025-04-17 12:18 GMT

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की गई थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और 'सुपर संसद' के रूप में काम करेंगे। धनखडं का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया, जिसमें राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर विधेयक पर फैसला लेने की समयसीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने को कहा जा रहा है।

हमने इसकी कल्पना नहीं की थी- धनखड़

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि एक हालिया फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इसे लेकर बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है। हमने इस दिन की कल्पना नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने के लिए कहा जाएगा और अगर वे फैसला नहीं लेंगे तो कानून बन जाएगा।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि अब जज कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद के रूप में काम करेंगे। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होगी क्योंकि इस देश का कानून उन पर लागू ही नहीं होता।

धनखड़ ने की चिंता जाहिर

इस मामले पर चिंता जाहिर करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रपति देश का सबसे सर्वोच्च पद है। वह संविधान की सुरक्षा की शपथ लेते हैं। जबकि सांसद, मंत्री, उपराष्ट्रपति और जजों को संविधान का पालन करना होता है। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिए जाएं। उन्होंने आगे कहा कि आपको सिर्फ संविधान की व्याख्या का अधिकार, वह भी पांच या उससे ज्यादा जजों की पीठ ही कर सकती है।

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