World Liver Day 2025: स्वस्थ खानपान से 50% तक कम हो सकता है लीवर रोग का खतरा

विश्व लीवर दिवस की पूर्व संध्या पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने "भोजन ही दवा है" का संदेश देते हुए कहा कि आज अगर खाने-पीने में सुधार किया जाए तो लीवर रोग का खतरा 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-04-18 19:30 GMT

शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में लीवर से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते मामलों के बीच डॉक्टरों ने शुक्रवार को खानपान की आदतों और लीवर स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध पर जोर दिया।

विश्व लीवर दिवस की पूर्व संध्या पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने "भोजन ही दवा है" का संदेश देते हुए कहा कि आज अगर खाने-पीने में सुधार किया जाए तो लीवर रोग का खतरा 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है।

लीवर ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. संजीव सैगल ने कहा कि खराब खानपान, शराब, प्रोसेस्ड फूड और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण लीवर को हुआ नुकसान सही समय पर कदम उठाने से सुधारा जा सकता है। उन्होंने बताया कि लीवर में स्वयं को ठीक करने की अद्भुत क्षमता होती है और वर्षों से हुए नुकसान को भी जीवनशैली में बदलाव करके वापस सुधारा जा सकता है।

ताजा फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और हल्के प्रोटीन से भरपूर आहार न केवल लीवर को स्वस्थ रखता है, बल्कि उसके पुनर्निर्माण में भी मदद करता है। डॉक्टरों के अनुसार जब मरीज साफ और संतुलित आहार अपनाते हैं तो लीवर एंजाइम का स्तर सुधरता है, ऊर्जा बढ़ती है और लंबे समय तक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। पहला कदम प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाना और खाने के लेबल पढ़ने से शुरू होता है।

इस वर्ष विश्व लीवर दिवस की थीम "भोजन ही दवा है" रखी गई है, जो आहार के महत्व को उजागर करती है।

विशेषज्ञों ने बताया कि अब लीवर रोग केवल शराब पीने तक सीमित नहीं रहा है। खराब खाने की आदतों, मोटापे और व्यायाम की कमी के कारण नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

"फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन" में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में बताया गया कि जो लोग ऐसे आहार लेते हैं जिनका सूजन बढ़ाने वाला प्रभाव अधिक होता है, उनमें पुरानी लीवर बीमारी का खतरा 16 प्रतिशत ज्यादा होता है। वहीं, मेडिटेरेनियन डाइट जैसे एंटी-इन्फ्लेमेटरी आहार अपनाने से लीवर रोग का जोखिम कम होता है।

लीवर ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष-चयनित डॉ. अभिदीप चौधरी ने कहा कि हर तीन में से एक भारतीय को फैटी लीवर रोग का खतरा है और कई लोगों को इसका पता भी नहीं चलता। यह एक मूक बीमारी है जो अक्सर बिना लक्षणों के बढ़ती रहती है। उन्होंने बताया कि यदि शुरुआती अवस्था में ही जीवनशैली में बदलाव किया जाए तो लीवर की क्षति को भी ठीक किया जा सकता है।

डॉ. चौधरी, जो बीएलके-मैक्स अस्पताल दिल्ली में एचपीबी सर्जरी और लीवर ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख भी हैं, ने कहा कि ताजे खाद्य पदार्थ, घर का बना खाना, पर्याप्त पानी पीना और ध्यानपूर्वक खाने से लीवर रोग से बचाव किया जा सकता है। शुगर ड्रिंक्स, जंक फूड और फास्ट फूड लीवर को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

"न्यूट्रिएंट्स" पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में बच्चों में मोटापे के कारण होने वाले लीवर रोग और प्रोसेस्ड फूड से प्राप्त उच्च फ्रुक्टोज सेवन के बीच चिंताजनक संबंध पाया गया है। अनुसंधान के अनुसार अत्यधिक फ्रुक्टोज का सेवन लीवर में वसा जमा करने और इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ाने से जुड़ा है।

विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों के आहार में अतिरिक्त चीनी को कम करना जरूरी है ताकि बच्चों में लीवर रोग की बढ़ती समस्या पर काबू पाया जा सके।

डॉ. सैगल ने कहा कि भोजन को केवल ईंधन नहीं, बल्कि दवा के रूप में देखना जरूरी है। साफ खाने को प्राथमिकता दें, बिना जरूरत दवाओं का सेवन न करें और समझें कि लीवर हमारे शरीर का प्रमुख विषहरण केंद्र है जिसकी रोजाना देखभाल जरूरी है।

विशेषज्ञों के अनुसार इस साल विश्व लीवर दिवस का संदेश और भी अहम है क्योंकि डेटा से यह साफ हुआ है कि केवल खानपान सुधार कर लीवर रोग के आधे मामलों को रोका जा सकता है।

चिकित्सकीय अध्ययनों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि शुरुआती अवस्था में लीवर को हुए नुकसान को सही जीवनशैली अपनाकर ठीक किया जा सकता है।

डॉ. चौधरी ने कहा कि लीवर शरीर के 500 से अधिक कार्यों में मदद करता है, जैसे विषाक्त पदार्थों को निकालना, मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करना, पाचन में सहायता करना और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम इस महत्वपूर्ण अंग की अहमियत को समझें और खानपान के जरिए लीवर को स्वस्थ बनाए रखें। 

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