महर्षि दयानन्द समग्र क्रांति के अग्रदूत थे-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
स्वामी दयानन्द ने वेदों को पुन: स्थापित किया-आचार्य गवेन्द्र शास्त्री
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का 201 वां जन्मोत्सव ऑनलाइन आयोजित किया गया। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द समग्रक्रांति के अग्रदूत थे उन्होंने तर्क की कसौटी पर सत्य को परखा फिर स्वीकार किया।
उन्होंने लोगों के सोचने की दिशा ही बदल डाली। स्वामी जी ने कहा कि कोई कितना ही करे परंतु स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम है य़ह कह कर राष्ट्रवाद की अलख जलायी।स्वामी जी से प्रेरणा लेकर हज़ारों नौजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। वैदिक विद्वान आचार्य गवेन्द्र शास्त्री ने महर्षि दयानन्द को वेदों वाला ऋषि कहा जाता है स्वामी जी ने वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया। आर्य नेता राजेश मेहंदीरता ने कहा कि स्वामी जी ने जात पात ऊंचनीच भुला कर समाज को जोड़ने का कार्य किया।आर्य समाज उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य कर रहा हैI महर्षि दयानन्द एक क्रांतिकारी सन्यासी थे जिन्हें 201 वर्ष बाद भी याद किया जा रहा है।
अध्यक्षता करते आर्य नेता ओम सपरा ने कहा कि स्वामी जी का लिखा हुआ सत्यार्थ प्रकाश एक बार अवश्य पढ़ो और स्वयं को जान लो अपनी संस्कृति को पहचान लो।उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी के सिद्धान्त आज भी प्रासांगिक हैं और उस पर चलने की आवश्यकता है।स्वामी दयानन्द के आदर्शो को अपनाने से ही विश्व में शान्ति स्थापित हो सकती है। आर्य जनों को विश्व को बदलने का कार्य करना है।
प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने कहा कि स्वामी जी ने नव जागरण का आह्वान किया। गायिका कौशल्या अरोड़ा,जनक अरोड़ा, सुधीर बंसल, रविन्द्र गुप्ता, विमल चड्डा, ललिता धवन,चन्द्र कांता आर्य,कुसुम भंडारी आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किए।