छह आतंकियों के घर किए ध्वस्त, जानें यह कार्रवाई क्या संदेश देने के लिए की गई
प्रशासन की यह कार्रवाई स्थानीय आतंकवाद को युवाओं के समूहों में शामिल होने से रोकने के लिए की गई है।;
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों के घरों को ध्वस्त कर दिया है, जिसमें अनंतनाग के बिजबेहरा में आदिल हुसैन ठोकर उर्फ आदिल गुरेई, अवंतीपोरा में आसिफ शेख और पुलवामा में अहसान शेख के घरों को गुरुवार और शुक्रवार की रात में ध्वस्त किया गया। प्रशासन की यह कार्रवाई स्थानीय आतंकवाद को युवाओं के समूहों में शामिल होने से रोकने के लिए की गई है।
गिराए गए आतंकियों के घर
विस्फोट को इस तरह नियंत्रित किया गया कि आसपास के घरों को कोई नुकसान न हो। यह सावधानी इसलिए बरती गई ताकि यह संदेश दिया जा सके कि प्रशासन आम जनता के प्रति कोई दुर्भावना नहीं रखता है। प्रशासन ने पहले ही यह घोषणा कर दी थी, कि परिवार का कोई भी सदस्य घर में मौजूद ना हो।
आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति
यह कारवाई स्थानीय युवाओं के लिए एक कड़ी चेतावनी है कि अगर वे बंदूक उठाते हैं और आतंकवादी समूहों में शामिल होते हैं, तो उनके परिवारों को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। उनके परिवारों को पासपोर्ट, सरकारी नौकरी और पुलिस क्लीयरेंस सहित सरकारी लाभ और सुविधाएं भी नहीं मिलेंगी। साथ ही जम्मू-कश्मीर सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि यह सब केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन की आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति का हिस्सा है।
पाकिस्तान गया था आदिल
आदिल 2018 में अटारी-वाघा सीमा पार करके कानूनी रूप से पाकिस्तान गया था। वहां उसने आतंकवाद का प्रशिक्षण पूरा किया और पिछले साल कश्मीर में वापस घुसपैठ की। बताया जाता है कि उसने दो कट्टर पाकिस्तानी आतंकवादियों हाशिम मूसा और अली तालहा और अवंतीपोरा के एक स्थानीय आतंकवादी आसिफ शेख को हमले के लिए गाइड किया और रसद की व्यवस्था की। आदिल ने हमले की जगह की रेकी करने में मदद की थी।
अहसान शेख ने किस तरह किया काम
आसिफ कई ओर हमलों में शामिल था। जिनमें त्राल, पुलवामा और कुलगाम शामिल है। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने इन जगहों को इसलिए शामिल किया क्योंकि वह बिसरन के आसपास के इलाके, छिपने के स्थानों और भागने के रास्तों से परिचित था। अहसान शेख, जो पुलवामा में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी है।
आतंकवाद को रोकने के लिए ज़रूरी है
सरकार का कहना है कि ये कार्रवाई आतंकवाद को रोकने के लिए ज़रूरी है। उनका मानना है कि आतंकवादियों के घरों को तोड़ने से दूसरे लोग डरेंगे और आतंकवाद में शामिल होने से बचेंगे। सरकार ये भी साफ़ कर देना चाहती है कि अगर कोई आतंकवादी बनता है, तो उसके परिवार को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।