गुजरात पटाखा फैक्ट्री हादसा: बॉयलर विस्फोट में 21 मजदूरों की मौत, मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी
राहत दल को आशंका है कि मलबे में अब भी कुछ लोग दबे हो सकते हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने का खतरा बना हुआ है।;
गुजरात के बनासकांठा जिले के डीसा में मंगलवार सुबह एक पटाखा फैक्ट्री में हुए जोरदार बॉयलर विस्फोट ने पूरे इलाके को हिला दिया। इस हादसे में मध्य प्रदेश के 21 मजदूरों की मौत हो गई, जिनमें से ज्यादातर हरदा और देवास जिले के रहने वाले थे। तीन मजदूर गंभीर रूप से झुलस गए हैं, जबकि पांच को हल्की चोटें आई हैं। राहत दल को आशंका है कि मलबे में अब भी कुछ लोग दबे हो सकते हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने का खतरा बना हुआ है।
यह हादसा उस समय हुआ जब मजदूर फैक्ट्री में अपने रोजमर्रा के काम में जुटे थे। अचानक एक तेज धमाका हुआ और पूरी फैक्ट्री धुएं में घिर गई। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि फैक्ट्री की दीवारें और छत गिर गईं, जिससे कई मजदूर मलबे में दब गए। स्थानीय लोगों के मुताबिक, धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि फैक्ट्री के पीछे के खेतों में मजदूरों के शरीर के टुकड़े तक बिखरे मिले। हादसे के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
मरने वाले सभी मजदूर कुछ दिन पहले ही हरदा और देवास से गुजरात काम की तलाश में आए थे। वे अपने परिवार का पेट पालने और बेहतर जिंदगी की उम्मीद लेकर यहां पहुंचे थे, लेकिन यह हादसा उनके सपनों को चकनाचूर कर गया। कई मजदूरों के घरों में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
आग लगने के बाद दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब छह घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। राहत और बचाव कार्य जारी है। डीसा की एसडीएम नेहा पांचाल ने बताया कि घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
इस फैक्ट्री को पटाखा निर्माण का लाइसेंस नहीं मिला था, फिर भी यहां अवैध रूप से पटाखे बनाए जा रहे थे। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फैक्ट्री मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। हादसे के बाद से फैक्ट्री मालिक फरार बताया जा रहा है। पुलिस की टीमें उसकी तलाश में जुटी हैं।
हरदा और देवास में इस हादसे की खबर से मातम छा गया है। जिन परिवारों के सदस्य इस हादसे में मारे गए, वे सरकार से मुआवजे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि मजदूरों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही कितनी घातक साबित हो सकती है।