election Commission: आरोपों के बीच, मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की शुरू तैयारी!
नई दिल्ली। वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप के बीच अब ऐसा लगता है कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की तैयारी शुरू हो गई है। वहीं इस मुद्दे पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस 18 मार्च को गृह सचिव, विधायी सचिव और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ चर्चा करेंगे जबकि हाल ही में डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र के मुद्दे पर संसद में हो रहे विवाद को लेकर यह कदम उठाया जा रहा है।
राजनीतिक पार्टी चुनाव आयोग की वैधता पर ही उठा रहे सवाल
बता दें कि सांसद के अंदर और बाहर ईपीआईसी के नंबरों को लेकर जमकर बवाल हो रहा है। इसके साथ ही राजनीतिक पार्टी भी इसके जरिये चुनाव आयोग की वैधता पर ही सवाल उठे हैं। वहीं इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यह मुद्दा उठाया था। बीते दिनों ईसी ने कहा था कि वह दशकों पुरानी डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र नंबरों की समस्या को अगले तीन महीने में खत्म कर देंगे।
वहीं इसको लेकर बताया जा रहा है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23, जिसे चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहा जाता के अनुसार निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या प्रदान करने की मांग कर सकते हैं। यह कानून मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।
चुनाव आयोग पर कवर-अप का लगाया आरोप
सरकार ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि आधार-वोटर कार्ड सीडिंग अभ्यास प्रक्रिया संचालित है और प्रस्तावित लिंकिंग के लिए कोई लक्ष्य या समयसीमा तय नहीं की गई है। इसके अलावा जो लोग अपने आधार विवरण को मतदाता सूची से नहीं जोड़ते हैं, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं काटे जाएंगे।
पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने कई राज्यों में डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र नंबरों का मुद्दा उठाया और चुनाव आयोग पर कवर-अप का आरोप भी लगाया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा कि प्रत्येक मतदाता के पास एक विशिष्ट पहचान पत्र संख्या होनी चाहिए और उन्होंने इसे सुनिश्चित करने के लिए भौतिक सत्यापन की मांग की है।