होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया, जानें पूजा के लिए कौन समय है शुभ
नई दिल्ली। देश होलिका दहन मना रहा है। वहीं होलिका दहन पर भद्रा का साया पड़ने वाला है। शुभ कार्य करने से पहले जान लें कौन सा समय शुभ है। भद्रा काल शुभ कार्यों को नहीं करने के लिए जाना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है, और उसका स्वभाव क्रोधी माना जाता है। ब्रह्माजी ने भद्रा को काल गणना के एक प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दिया था ताकि उनके क्रोध को नियंत्रित किया जा सके। पंचांग में करणों की संख्या 11 होती है, जिसमें 7वां करण विष्टि कहलाता है, और इस समय को अशुभ माना जाता है। इसलिए इस काल में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य, उत्सव या शुभ कार्यों का आरंभ या समापन नहीं करना चाहिए
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक कब तक रहेगी?
भद्रा आरम्भ: मार्च 13, 2025, आज सुबह 10:35
भद्रा समाप्त: मार्च 13, 2025, आज रात 11:26
भद्रा पूँछ - सायं 06:57 से रात्रि 08:14 तक
भद्रा मुख - रात्रि 08:14 से रात्रि 10:22 तक
बुरी शक्तियों का होता है नाश
होलिका दहन को नकारात्मक शक्तियों को खत्म करने और घर-परिवार में सुख-शांति लाने वाला पर्व माना जाता है। इस दिन अग्नि में आहुति देने से नकारात्मक ऊर्जाओं, और बुरी शक्तियों का नाश होता है।
होलिका दहन में विभिन्न सामग्रियों का अर्पण करना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। नारियल अर्पित करने से समृद्धि और बाधाएं दूर होती हैं। गेहूं और जौ की बालियां डालने से घर में अन्न की वृद्धि होती है और सुख-शांति बनी रहती है। काले तिल डालने से शनि दोष और राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। गूलर की लकड़ी डालने से आर्थिक तंगी दूर होती है और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। गोबर के उपले वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। लौंग और इलायची डालने से नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं। चंदन की लकड़ी रोगों से मुक्ति और मानसिक शांति देती है। कपूर, लौंग और पान का पत्ता स्वास्थ्य समस्याओं को कम करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करते हैं। हवन सामग्री वैवाहिक जीवन में सुख और समझ बढ़ाती है। इन उपायों से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।