Uttarakhand: आज से खुलेंगे कालागढ़ टाइगर रिजर्व के वतनवासा व पाखरो जोन, पर्यटक कर सकेंगे वन्यजीवों का देख सकेंगे।
वतनवासा व पाखरो पर्यटन जोन में पर्यटक बाघ, तेंदुए समेत अन्य वन्यजीवों का दीदार कर सकेंगे। इस साल कार्बेट प्रशासन 15 दिन पहले ही बुकिंग और गेट खोल रहा है, जबकि बीते वर्षों तक ये पर्यटन जोन मानसून सत्र के बाद 15 नवंबर से खोले जाते थे।
कालागढ़ टाइगर रिजर्व (केटीआर) वन प्रभाग वतनवासा व पाखरो पर्यटन जोन बुधवार से पर्यटकों के लिए खोल दिए जाएंगे। आधू-अधूरी तैयारियों के बीच खोले जा रहे पर्यटन जोन में वन्य जीवों का दीदार करने के लिए इस साल पर्यटकों को ज्यादा रकम चुकानी होगी।
वन विभाग ने इसके प्रवेश शुल्क से लेकर विश्राम गृह के शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है। ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले पर्यटकों को कोटद्वार से वतनवासा और पाखरो गेट से प्रवेश कराया जाएगा। पर्यटक यहां बाघ, तेंदुए समेत अन्य वन्यजीवों का दीदार कर सकेंगे। इस साल कार्बेट प्रशासन 15 दिन पहले ही बुकिंग और गेट खोल रहा है, जबकि बीते वर्षों तक ये पर्यटन जोन मानसून सत्र के बाद 15 नवंबर से खोले जाते थे। मानसून सत्र में 15 जून से इन प्रवेश द्वारों को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था।
प्रवेश शुल्क से लेकर विश्राम गृहों के रेट में हुई बढ़ोतरी
इस बार वन विभाग ने इन पर्यटन जोन के प्रवेश शुल्क से लेकर गेस्ट हाउस के किराए में भी बढ़ोतरी कर दी है। अब तक प्रति व्यक्ति लिए जा रहे 200 रुपये प्रवेश शुल्क को बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह हल्दूपड़ाव वन विश्राम गृह का एक रात का किराया 1250 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये कर दिया गया है। पाखरो व इसके पास के मोरघट्टी, रथुवाढाब व मुंडियापानी बंगलों का किराया भी 750 रुपये से 2,000 रुपये कर दिया गया है।
केटीआर के डीएफओ आशुतोष सिंह ने बताया कि कोटद्वार से करीब 25 किमी पर स्थित पाखरो जोन में करीब 36 किमी में पर्यटकों के लिए जिप्सी सफारी की बुकिंग कोटद्वार स्थित कार्बेट के रिसेप्शन सेंटर से शुरू कर दी गई है। इसी तरह कोटद्वार से 47 किमी दूर दुगड्डा-धुमाकोट मार्ग पर स्थित वतनवासा गेट से सोनानदी अभ्यारण के हल्दूपड़ाव जोन को भी खोल बुधवार से खोल दिया जाएगा।
सड़क-बिजली की नहीं है व्यवस्था
पर्यटन की गतिविधियों से जुड़े लोगों का कहना है कि दोनों पर्यटन जोन भले ही 15 दिन पहले खोले जा रहे हैं, लेकिन यहां संचार, सड़क, बिजली की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पर्यटकों के परमिट के बार कोड स्कैन करने के लिए भी अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिप्सी सफारी ट्रैक की हालत काफी खराब है। झाड़ियाें की सफाई नहीं होने से वन्यजीव भी कम ही नजर नहीं आएंगे।