तिलवाड़ा गांव में एएसआई की खुदाई से मिले 4000 साल पुराने बर्तन
मोहसिन खान
बागपत। महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ी बागपत के तिलवाड़ा गांव के आला टीले पर की जा रही एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) की खुदाई में 4000 साल पुराने मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) मिले हैं। इन बर्तनों की बनावट सिनौली साइट से मिलती-जुलती है, जहां 2005 में 106 मानव कंकाल और मिट्टी के बर्तन मिले थे। तिलवाड़ा और सिनौली साइट के बीच की दूरी महज 10 किलोमीटर है, और एएसआई का मानना है कि तिलवाड़ा में मिले बर्तन भी लगभग उतने ही पुराने हैं।
तिलवाड़ा गांव में एक महीने से एएसआई की खुदाई जारी है, जिसमें बड़ी संख्या में बर्तन मिले हैं। इनमें से एक बड़ा बर्तन पाया गया है, जो शवों के अंतिम संस्कार में उपयोग होता था। इसके अलावा, कुछ जानवरों की हड्डियां भी मिली हैं। यह क्षेत्र महाभारत काल से जुड़ा माना जा रहा है, और एएसआई को यहां से और भी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर मिलने की उम्मीद है। खुदाई का कार्य अगले दो महीने तक जारी रहेगा।
यमुना किनारे खुदाई का कार्य
दिल्ली से 82 किलोमीटर दूर स्थित तिलवाड़ा गांव यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस गांव के श्मशान घाट के पास तीन बीघा खेत में पिछले कुछ सालों से काम करते हुए पुरानी धरोहरें प्राप्त हो रही थीं। इन धरोहरों को एएसआई को सौंपा गया, जिसके बाद इस वर्ष 2023 में खुदाई की अनुमति मिली और 11 दिसंबर से खुदाई शुरू हो गई। एएसआई की आठ सदस्यीय टीम इस क्षेत्र में काम कर रही है।
बर्तन और जानवरों की हड्डियां मिलीं
एएसआई अधिकारियों के मुताबिक, खुदाई में अब तक कई बर्तन मिल चुके हैं, जिनकी बनावट सिनौली साइट से मेल खाती है। एक बर्तन जो शवाधान में उपयोग होता था, उसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा, कुछ जानवरों की हड्डियां भी मिली हैं, जिनकी जांच जारी है।
कार्बन डेटिंग संभव नहीं
मृदभांडों की कार्बन डेटिंग करना संभव नहीं है, क्योंकि इन बर्तनों में कार्बन नहीं होता। ऐसे में, इन बर्तनों की उम्र को उनकी बनावट के आधार पर ही निर्धारित किया जाएगा।
2005 में सिनौली साइट से मिले थे 106 मानव कंकाल
तिलवाड़ा से 10 किलोमीटर दूर सिनौली गांव में 2005 में एएसआई ने खुदाई की थी, जहां से 106 मानव कंकाल मिले थे। इन कंकालों की कार्बन डेटिंग से यह पता चला था कि ये कंकाल करीब 3000 साल पुराने हैं। इसके बाद, 2017-18 में शाही कब्रगाह और अन्य पुरानी वस्तुएं भी मिलीं, जिनमें ताबूत, रथ, तलवार, ढाल, और तांबे की वस्तुएं शामिल थीं, जो लगभग 4000 साल पुरानी थीं।
ग्रामीणों की उम्मीदें
तिलवाड़ा गांव के किसान वीरेंद्र सिंह का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि यहां से भी पौराणिक और ऐतिहासिक वस्तुएं मिलेंगी, जैसे कि सिनौली गांव से मिली थीं। वे आशान्वित हैं कि एएसआई की खुदाई से और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आएगी।