राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जोशीमठ क्षेत्र को No new कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया जाना चाहिए।

Update: 2023-09-26 06:16 GMT

चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव पर सामने आई वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ पहले ही अपनी सामर्थ्य से अधिक भार उठा रहा है। ऐसे में यहां नए भारी प्रणयन न किए जाएं। रिपोर्ट में पूरे जोशीमठ के धंसने की आशंका को अकिंचित करार दिया गया है। साथ ही प्रभावित क्षेत्र की लगातार निगरानी और विशाल भूवैज्ञानिक विचारशील की अनिवार्यता पर बल दिया गया है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जोशीमठ क्षेत्र को नो-न्यू कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया जाना चाहिए। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, जोशीमठ की जन समुदाय 16,709 थी, जिसका घनापन 1,454 प्रति वर्ग किमी था। जिला प्रशासन के अनुसार, इस सुविधाजनक शहर की अनुमानित आबादी अब 25 से 26 हजार के बीच है। जोशीमठ में भूधंसाव के बाद भवनों की स्थितियों का आकलन करने की जिम्मेदारी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) को सौंपी गई थी।

CBRI ने जोशीमठ के नौ प्रशासनिक क्षेत्रों में फैले 2364 भवनों का विस्तृत भौतिक क्षति जांचा गया । इसमें निर्माण की शैली के साथ कई प्रकार की विशेषताओं, मंजिलों की संख्या जैसे मापदंडों पर आँकड़े विश्लेषण का उपयोग कर इमारतों की सहानुभूतिपूर्ण का आकलन किया। अपनी 324 पन्नों की रिपोर्ट में CBRI ने 20 प्रतिशत घरों को अनुपयोगी, 42 प्रतिशत के और मूल्यांकन की आवश्यकता, 37 प्रतिशत को उपयोग योग्य और एक प्रतिशत को पराजित करने की आवश्यकता बताई है।

868 सदनो में दरारें, 181 असुरक्षित क्षेत्र में

जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र में कुल नौ वार्ड प्राभावित हैं। इनमें गांधीनगर वार्ड में 156 भवनों में दरारें हैं। इनके अलावा पालिका मारवाड़ी में 53, लोवर बाजार में 38, सिंघधार में 156, मोहनबाग में 131, अपर बाजार में 40, सुनील में 78, परसारी में 55 और रविग्राम वार्ड में 161 भवनों में दरारें हैं। इस तरह से कुल 868 भवनों में दरारें हैं। इनमें से 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में हैं।

जोशीमठ में लगातार हो रहे निर्माण पर सवाल

CBRI ने अपनी रिपोर्ट में जोशीमठ में लगातार हो रहे निर्माण पर सवाल उठा यहां हिमालय क्षेत्र के पर्वतीय क्षेत्रों में शहरों के विकास के लिए नगर नियोजन के सिद्धांतों की समीक्षा करने की सिफारिश की। सीबीआरआई ने निष्कर्ष निकाला कि भू-तकनीकी और भू-जलवायु स्थितियों के आधार पर हितधारकों के बीच अच्छी निर्माण टाइपोलॉजी, नियंत्रित निर्माण सामग्री, नियामक तंत्र और जागरूकता जरूरी है।

ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण पर जोर

NDMA के निगरानी वाली टीम की ओर से तैयार की गई PDNAरिपोर्ट में जोशीमठ में बड़े पैमाने पर भविष्य की पुनर्निर्माण गतिविधियों से पर्यावरण पर संभावित नकारात्मक प्रभाव की ओर इशारा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है यह महत्वपूर्ण है कि भविष्य में किए जाने वाले पुनर्निर्माण ग्रीन बिल्डिंग आधारित, उपयुक्त प्रौद्योगिकी और सीमित कंक्रीट वाले हों .

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