उत्तराखंड में अस्थिर राजनीति का रोग एनडी तिवारी सरकार के बाद कोई भी मुख्यमंत्री पूरा नहीं कर पाया अपना कार्यकाल !

Update: 2023-09-08 08:03 GMT

उत्तराखंड की सियासत में अस्थिरता का रोग राज्य स्थापना के समय से ही लगा हुआ है। आलम यह है कि राज्य के 23 साल के सफर में अब तक दस सरकारें बन चुकी हैं। लेकिन पांच साल का कार्यकाल सिर्फ एनडी तिवारी सरकार ही पूरा कर पाई। नौ नवंबर को राज्य गठन के समय भाजपा आलाकमान ने वयोवद्ध नेता नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री की कमान क्या सौंपी की तत्कालीन सरकार में उठापटख का दौर शुरू हो गया। इसी अस्थिरता के चलते स्वामी सरकार एक साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही विदा हो गई। फिर भगत सिंह कोश्यारी सीएम बने तो चार महीने बाद भाजपा को चुनावी हार के चलते सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता एनडी तिवारी राज्य के सीएम बने, तिवारी सरकार के समय भी विधायकों में असंतोष की खबरें खूब उठती रहीं। बावजूद इसके तिवारी अपना कार्यकाल पूरा करने में कामयाब रहे। खासबात यह है उत्तराखंड में कार्यकाल पूरा करने वाले तिवारी एक मात्र सीएम हैं। हालांकि तिवारी पूर्ववर्ती राज्य यूपी में तीन बार सीएम बनें, लेकिन यूपी में वो एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे।


2007 में फिर भाजपा की सरकार भुवन चंद्र खंडूडी के नेतृत्व में सत्ता में आई तो विधायकों में बगावत की आग पहले दिन से ही सुलगने लगी। नतीजतन खूंडूडी को 2009 लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद इस्तीफा देना पड़ गया। इसके बाद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को भी 2012 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पूर्व ही पद से इस्तीफा देकर, फिर खंडूडी के लिए रास्ता साफ करना पड़ा। लेकिन खंडूडी का दूसरा कार्यकाल भी 2012 विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारण कुछ महीनों में ही सिमट गया। इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनने पर विजय बहुगुणा सीएम बने। लेकिन कांग्रेस हाई कमान ने 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विजय बहुगुणा को बदल कर हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया।



हरीश रावत सरकार को झेलनी पड़ी थी बगावत।


हरीश रावत राज्य के एक मात्र सीएम हुए, जिन्हें विधायकों की खुली बगावत का सामना करना पड़ा। मार्च 2016 में कांग्रेस विधायकों ने सदन में अपनी सरकार के खिलाफ मतदान कर बगावत का झंडा बुलंद कर दिया। नतीजतन राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन भी लागू हुआ। बाद में कानूनी दांव पेंच के बाद हरीश रावत की सरकार बहाल तो हुई, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के चलते उनका दूसरा कार्यकाल कुछ महीनों में ही सिमट कर रह गया।

 

भाजपा के सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीएम रहे त्रिवेंद्र रावत 

त्रिवेंद्र रावत भाजपा की तरफ से सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीएम साबित हुए हैं। उनका कार्यकाल 9 मार्च 2021 को चार साल बाद समाप्त हुआ। फिर भाजपा की तरफ से 10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री का ताज पहनाया गया लेकिन वे भी चार माह का ही कार्यकाल पूरा कर पाए। सबसे कम कार्यकाल चार महीने का भगत सिंह कोश्यारी का रहा। भाजपा ने उत्तराखंड में अब तक कुल मिलाकर करीब 12 साल शासन किया। इस दौरान उसकी 7 सरकारें अब तक बन चुकी हैं। मौजूदा वक्त में उत्तराखंड में धामी 2 की सरकार है। 


मुख्यमंत्रियों का कार्यक्राल 

नित्यानंद स्वामी - 09 नवंबर 2000 से 29 अक्तूबर 2001

भगत सिंह कोश्यारी - 30 अक्तूबर 2001 से 01 मार्च 2002

नारायण दत्त तिवारी - 02 मार्च 2002 से 07 मार्च 2007

भुवन चंद्र खूडूडी - 07 मार्च 2007 से 26 जून 2009

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक - 27 जून 2009 से 10 सितंबर 2011

भुवन चंद्र खंडूडी - 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012

विजय बहुगुणा - 13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014

हरीश रावत - 01 फरवरी 2014 से 27 मार्च 2016

हरीश रावत - 21 अप्रैल 2016 से 22 अप्रैल 2016

हरीश रावत - 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017

त्रिवेंद्र सिंह रावत - 18 मार्च 2017 से 9 मार्च 2021

तीरथ सिंह रावत - 10 मार्च 2021 से 2 जुलाई 2021

पुष्कर सिंह धामी 23 मार्च से 2022 से अब तक


Similar News