देहरादून एयरपोर्ट से उड़ान भरने और उतरने के दौरान आ रही है दिकत्ते...पढ़िए पूरी वजह

Update: 2023-09-20 08:13 GMT

देहरादून एयरपोर्ट से उड़ान भरने और उतरने वाले विमानों से पक्षी टकराने का खतरा बढ़ गया है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट छह महीने के निरीक्षण के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है कि कांसरो और केशवपुरी बस्ती में बने कूड़ा डंपिंग जोन के ऊपर पक्षी काफी उंचाई तक उड़ते हैं, ये विमान से टकराकर कभी भी बड़े हादसे का वजह बन सकते हैं।

ये दोनों स्थान विमानों के लैंडिंग और टेक ऑफ जोन में आते हैं। स्थानीय प्रशासन को कूड़ा डंपिंग जोन को शिफ्ट करने की सिफारिश की गई है। देहरादून एयरपोर्ट तीन तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है। राजाजी पार्क भी एयरपोर्ट के पास में ही है। इस क्षेत्र में कूड़ा स्क्रैपिंग जोन है।

यहां पर मरे हुए जानवरों को भी फेंक दिया जाता है और जंगल के अंदर शिकारी जानवर भी अपना अधखाया शिकार छोड़ देते हैं। इस कारण एयरपोर्ट के आस-पास कई तरह के पक्षी आसमान में मंडराते रहते हैं। इनमें बड़ी संख्या मांसाहारी पक्षियों की होती है, जो आकार में बड़े होते हैं और काफी उंचाई तक उड़ते हैं। ये पक्षी अगर विमान से टकराते हैं तो बड़ा हादसे का सबब हो सकता है।

एयरपोर्ट प्रशासन भी इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया हैं । वह एयरपोर्ट पर होने वाली पर्यावरण समिति की बैठक में इस समस्या को कई बार उजागर कर चुकी है। जिला प्रशासन को भी कई मर्तबा इस विषय में पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन स्थिति वैसे की वैसे ही हैं ।

ये हैं सबसे खतरनाक इलाके

-डोईवाला में सौंग नदी के किनारे केशवपुरी बस्ती में बना नगर पालिका का कूड़ा डंपिंग जोन

-राजाजी पार्क में कांसरो रेंज का क्षेत्र

यह पक्षी एयरपोर्ट के आसमान में भरते हैं उड़ान

एयरपोर्ट प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने तोते, कबूतर, चील, बाज, धनेश पक्षी, बगुला, हिमालयन ग्रिफन गिद्धों के मंडराने का जिक्र किया है।

पक्षी भगाने के लिए नई डिवाइस मंगाने की तैयारी

एयरपोर्ट पर बर्ड हिट की घटनाओं को देखते हुए रनवे के किनारे ऑपरेशन टाइम में दस से बारह लोगों को मुस्तैद किया जाता है। जोन गन और बर्ड लेजर गन से पटाखों की आवाज निकाली जाती है। ऊंचाई पर आवाज करने वाले पटाखे और रिफ्लेक्ट रिबन लगाए गए हैं। अब एयरपोर्ट प्रशासन अब एक ऐसी डिवाइस मंगाने की तैयारी में है। इससे एक ही समय पर अलग-अलग आवाजें निकालकर पक्षियों को भगाया जा सकेगा।

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने छह महीने के अध्ययन के बाद डोईवाला और कांसरों में दो स्थानों को चिह्नित किया है। यहां पक्षियों की मूवमेंट सबसे अधिक मिली है। बर्ड हिट के खतरे का कम करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। एक नई डिवाइस भी मंगाई जा रही है. 

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