तो क्या हिमालय बचाने को कभी नही हुआ मंथन

Update: 2023-09-09 12:11 GMT

देहरादून। विख्यात पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने हिमालय दिवस पर हिमालय संरक्षण में भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रिय स्तर पर कभी हिमालय को लेकर मंथन नही हुआ। उन्होंने राजनैतिक दलों पर तंज कसते हुए कहा की उत्तराखंड में पर्यावरण पार्टी भी होनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा हम सबको हिमालय को समझने का समय आ चुका है। यहां निवास करने वाले लोग हों या पर्यटक क्योकि इसने सबकी सेवा की और स्वागत किया। इसे अकेला ना छोड़ें और ना भोगने का सामान समझें ये खुद में जीवित है और हमारा भी जीवन इसी से है।

क्यों देश सोता है जब हिमालय रोता है।

उन्होंने कहा कि वह हिमालय जो आसमान को छूता था, आज टूट - टूटकर मैदानों में बिखर रहा है। यह बड़ा प्रश्न है कि हम कैसे तय करें कि हमारा मॉडल क्या हो, एक मॉडल जो आर्थिकी के साथ पारिस्थितिकी और हिमालय को भी बचा पाए, वही यहां के लिए सटीक साबित होगा।

हिमालय दिवस पर उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर भी उन्होंने लिखा कि " मैं हिमालय हूं। घर भी जीवन का घेरा भी। सबने मुझको जम के भोगा। पालक रहा पर पिता न बन पाया कि पुत्र मेरे प्रति चिंता कर पाते। मैं तुम्हारे लिए जिंदा रहना चाहता हूं। काटो , लूटो या कल के लिए बचालो तुम्हारे साथ रहूँगा। मेरे लिए नहीं अपने लिए संभालो।

उन्होंंने कहा कि हिमालय की सुरक्षा के लिए हम सभी को मिलकर सामुहिक प्रयत्न करने होंगें। क्योंकि यह हमारी आर्थिक, अध्यत्मिक और समाजिक धरोहर है। हमें जनजागरूक रैली करते हुए इस संकल्प में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ना चाहिए, जिससे हम हिमालय में हो रही क्षति पर रोक लगा सकें

वहीं पर्यायवरण प्रेमी द्वारिका सेमवाल ने हिमालय पर हो रही छेड़छाड़ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा की हिमालय टूट रहा है। उन्होंने संबधित सरकारी पर्यायवरण संस्थानों पर सवाल खड़ा किया और कहा की इनसे पूछा जाए की ये संस्थान प्रकृति के साथ हैं या विनाश के साथ

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