भूधंसाव के चलते हाई रिस्क में आए करीब 1200 घर, सीबीआरआई ने रिपोर्ट में की पुनर्वास की सिफारिश
सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने पहाड़ पर बने मकानों की दरारों और जमीन में आई दरारों के आधार पर खतरे का आकलन किया था। रिपोर्ट के साथ नक्शा तैयार किया गया और शासन को सौंपी रिपोर्ट में पुनर्वास की सिफारिश की गई।
जोशीमठ में पिछले साल हुए भूधंसाव के बाद विभिन्न तकनीकी संस्थानों की ओर से अलग-अलग स्तर पर तकनीकी जांच की थी। सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों की ओर से पहाड़ पर बने मकानों की दरारों और जमीन में आई दरारों के आधार पर खतरे का आकलन किया था।
भवनों को तीन वर्गों में बांटा गया
वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि सर्वे के दौरान सभी भवनों में आई दरारों का अलग-अलग पैरामीटर के हिसाब से आकलन किया गया। साथ ही जमीन के भीतर आई दरारों के लिए भूवैज्ञानिक रिपोर्ट का भी आकलन किया गया। जिसके आधार पर भवनों को तीन वर्गों में बांटा गया। सर्वे के दौरान 14 हाई रिस्क जोन चिह्नित किए गए हैं।
ये जोन पहाड़ पर पॉकेट के रूप में हैं, जहां बने भवन रहने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। हाई रिस्क जोन मारवाड़ी बाजार, लोवर बाजार, अपर बाजार, मनोहर बाग और सिंघधार में स्थित है। हाल ही में जोशीमठ का फिजिकल सर्वे भी किया गया है। उन्होंने बताया कि करीब 2500 भवनों में से 1200 भवनों को हाई रिस्क के अंतर्गत रखा गया है। इन भवनों में रह रहे लोगों के पुनर्वास की सिफारिश की गई है।