गढ़वाल विश्वविद्यालय: सीयूईटी से दाखिले में राहत पर इस सप्ताह हो सकता है बड़ा फैसला, सात हजार सीटें खाली

Update: 2023-09-04 06:31 GMT

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के बिना दाखिले पर इस सप्ताह बड़ा फैसला हो सकता है। गढ़वाल विवि की एकेडमिक काउंसिल के बाद कार्यकारी परिषद पांच सितंबर को इस मामले पर फैसला लेगी और प्रस्ताव यूजीसी को भेजेगी।

अगर यूजीसी इस साल कॉलेजों को सीयूईटी दाखिले से राहत देती है तो करीब 21 हजार से ज्यादा छात्रों को दाखिला मिल सकेगा। इस साल गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध 102 कॉलेजों में भी सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश का नियम लागू किया गया था।

बड़ी संख्या में छात्र इस परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पाए थे। जब दाखिले शुरू हुए तो कॉलेजों में ढूंढने से भी छात्र नहीं मिले। विश्वविद्यालय के 10 गैर सरकारी कॉलेजों में करीब सात हजार सीटें और निजी कॉलेजों में 15 हजार से ज्यादा सीटें खाली हैं.

12वीं के अंकों की मेरिट के आधार पर प्रवेश को लेकर छात्र संगठन लगातार आंदोलन कर रहे हैं. गढ़वाल विवि की शनिवार को हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में सीयूईटी के बिना प्रवेश पर मुहर लगा दी गई। अब यह प्रस्ताव 5 सितंबर को कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल की अध्यक्षता में होने वाली कार्यकारिणी परिषद की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद यूनिवर्सिटी इसे यूजीसी को भेजेगी. चूंकि शैक्षणिक सत्र में लगातार देरी हो रही है, इसलिए माना जा रहा है कि इसी सप्ताह सीयूईटी पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।


सीटें न भरने के ये रहे प्रमुख कारण

-समय से विवि की ओर से कॉलेजों को सीयूईटी दाखिलों की सूचना न भेजा जाना।

-12वीं कर रहे छात्रों के बीच परीक्षा की जागरुकता नगण्य होना।

-सीयूईटी के पोर्टल पर केवल गढ़वाल विवि के तीनों परिसरों की जानकारी। संबद्ध कॉलेजों, उनके कोर्स, सीटों का कोई ब्योरा नहीं।

-गढ़वाल विवि की ओर से सीयूईटी से कॉलेजों में दाखिलों की कोई जानकारी अपनी वेबसाइट पर जारी न करना।

-नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से भेजे गए सीयूईटी परिणाम को कॉलेजों से साझा न करना।


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