प्रचंड गर्मी के कारण तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर, बढ़ने लगा नदियों का जलस्तर

Update: 2024-05-31 06:44 GMT


रुद्रप्रयाग। इन दिनो प्रचंड गर्मी का कहर मैदानी इलाको में ही नहीं बल्किं पहाड़ी इलाकों में भी देखने को मिल रहा है। जिसके कारण तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं।

बता दें कि गर्मी का प्रकोप इस साल चरम पर है, जिससे ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और नदियों का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का जलस्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि नमामि गंगे परियोजना के तहत बने घाट मई में ही डूब गए हैं।

मुख्यालय में गुरुवार को तापमान 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पहाड़ी इलाकों में भीषण गर्मी का सूचक है। वहीं गुप्तकाशी, ऊखीमठ, फाटा, सोनप्रयाग और गौरीकुंड में लोगों को तेज धूप का सामना करना पड़ रहा है। गुप्तकाशी के निवासी वयोवृद्ध वचन सिंह पंवार के अनुसार, इस बार पहाड़ के ऊपरी क्षेत्रों में सूरज की तपन असहनीय हो रही है। रमेश जमलोकी उत्तराखंडी का मानना है कि पर्यटन और तीर्थाटन के कारण हो रहे विकास कार्य जैसे वातानुकूलित होटल, रेस्टोरेंट और लॉज के निर्माण से पहाड़ की ठंडक खत्म हो रही है।

साथ ही हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान के निदेशक डॉ. विजयकांत पुरोहित के है। जो प्रकृति और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। शीतकाल में पर्याप्त बारिश और बर्फबारी न होने और वनाग्नि की घटनाएं बढ़ने से वातावरण में आर्द्रता कम हो गई है, जिससे गर्मी बढ़ रही है। जिसके कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जो नदियों के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि का कारण बन रहा है।

11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में भी इस बार मौसम का मिजाज बदला हुआ है। सुबह 9 बजे के बाद धूप की तपन बढ़ने से दोपहर तक तापमान 15 से 18 डिग्री तक पहुंच जाता है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के कर्मचारी गोपाल सिंह रौथाण के अनुसार, यात्रियों का कहना है कि केदारनाथ में धूप की तपन मैदानी क्षेत्रों से भी ज्यादा महसूस हो रही है। केदारनाथ पुनर्निर्माण से जुड़े सेवानिवृत्त कैप्टन सोवन सिंह बिष्ट का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार केदारनाथ में मौसम काफी बदला हुआ है। यहां बारिश नाममात्र हो रही है और रात में ठंड का असर भी कम हो गया है।

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