आखिर उत्तराखंड में भू -कानून लाने में क्यों हो रही देरी ?

Update: 2023-09-11 10:39 GMT

उत्तराखंड में भू कानून को लेकर सीएम धामी की सरकार पूरी तरह तैयार होने का दावा कर रही है लेकिन भू कानून के लिए बनाई गई कमेटी के सुझावों को अभी तक लागू नहीं किया गया है। जबकि यहां के मूल निवासी लंबे समय से भू- कानून की मांग कर रहे हैं।

आखिर उत्तराखंड में क्या है भू कानून?

उत्तराखंड में लंबे समय से भू-कानून की मांग जोरों से चल रही है, क्या है उत्तराखंड में भू कानून जिसकी मांग चल रही है,इस भू कानून के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान और क्यों उत्तराखंड के लोग इस कानून की मांग कर रहे हैं।

उत्तराखंड में इस बात की मांग जोरों पर रहती है कि हिमाचल प्रदेश की तरह राज्य में भी भू कानून लागू करने की कवायद की जाए। इसी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी यहां के लोग भू कानून की मांग कर रहे हैं 1972 में हिमाचल प्रदेश में कानून बनाया गया। इस कानून के अंतर्गत दूसरे राज्यों के लोग हिमाचल प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकते थे। असल में उस समय हिमाचल आज की तरह संपन्न राज्य नहीं था, तो इस बात का डर था कि वहां के लोग मजबूरी में अपनी जमीन बाहर से आए लोगों को न बेच दें।

हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भू-कानून की मांग

इतिहासकार शीशपाल गुसाईं बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर यशवंत सिंह परमार यह कानून लेकर आए कि राज्य से बाहर के लोग धारा 118 के तहत हिमाचल प्रदेश में कृषि भूमि नहीं खरीद सकते। इसके बाद 2007 में धूमल सरकार ने धारा 118 में संशोधन करते हुए उन बाहरी राज्यों के व्यक्तियों को जमीन खरीदने की इजाजत दी, जो इस राज्य में 15 साल से रह रहे हैं इसके बाद आई सरकार ने इस 15 साल की अवधि को बदल कर 30 साल कर दिया यानी हिमाचल प्रदेश में बाहरी राज्य से आया कोई भी व्यक्ति जमीन नहीं ले सकता। इसी तरह उत्तराखंड में भू कानून भी आवश्यक हैं।

गुसाईं बताते हैं कि उत्तराखंड के लोगों ने इसे उत्तराखंड की संस्कृति के साथ खिलवाड़ समझा, उत्तराखंड के लोग इस बात की चिंता करने लगे की बाहर के लोगों को जिस तरह से जमीन खरीदने की परमिशन दी गई है उससे उत्तराखंड की संस्कृति खतरे में पड़ सकती है। ऐसे में भू कानून की मांग की जाने लगी।


वहीं प्रदेश में अधिकतर होटल, रिजॉर्ट, रेस्टोरेंट या अन्य उद्योग दूसरे राज्य के लोग चला रहे हैं जिससे स्थानीय लोग अपनी जमीन बेचकर उन्हीं होटलों में नौकरी करते हैं इससे उत्तराखंड की संस्कृति के साथ-साथ यहां की जमीन भी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। उत्तराखंड के लोग इसे अपने साथ धोखे जैसा देख रहे हैं। इसलिए लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि उत्तराखंड में एक सशक्त भू कानून लाया जाए। जिससे स्थानीय लोगों की जमीन और उनकी संस्कृति भी बची रहे।

Tags:    

Similar News