आखिर क्यों कंजूस हैं उत्तराखंड के ये सांसद , जानें?

Update: 2023-09-18 06:10 GMT

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में हर साल बारिश की वजह से हर क्षेत्र को नुकसान होता है। गढ़वाल हो या कुमाऊं हर एक हिस्सा आज भी विकास के इंतजार में है। ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार हमारे सांसदों को मिलने वाली धनराशि में कोई कटौती कर रही हो, लेकिन इसके बावजूद भी सालाना धनराशि को हमारे सांसद पूरी तरह से खर्च नहीं कर पा रहे हैं। मौजूदा समय में लोकसभा के पांचों सांसदों की अगर बात करें तो 9 महीने बीत जाने के बाद भी करोड़ों रुपए सरकारी खजाने में पड़े हुए हैं।


जिन पैसों से क्षेत्र में योजनाएं और तमाम विकास के कार्य होने हैं। सांसदों द्वारा खर्च किए जा रहे पैसों की हालत यह तब है, जब केंद्र सरकार ने महामारी के समय राज्यों में सांसदों को दी जाने वाली राशि को रोक लिया था। साल 2020-21 के साथ-साथ साल 2021- 22 की सांसद निधि को भारत सरकार ने स्थगित कर दिया था। यह इसलिए भी हुआ था, ताकि पैसा कोरोना महामारी में इस्तेमाल किया जा सके, लेकिन सांसद निधि के खजाने में आज भी करोड़ों रुपए हैं।


सरकार की वेबसाइट www.mplads.gov.in के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड लोकसभा के सांसद हो या राज्यसभा के उनकी निधि का बड़ा हिस्सा अभी सरकारी खजाने में पड़ा हुआ है, जबकि अब लोकसभा चुनाव होने में लगभग 170 दिन ही बचे हैं।पांच सांसदों की कुल सांसद निधि 85 करोड़ रुपये है, जबकि अभी तक पांचों सांसदों ने करीब 40 करोड़ धनराशि खर्च किये हैं। अल्मोड़ा लोकसभा सीट से सांसद अजय टम्टा अबतक सबसे अधिक 9 करोड़ 39 लाख रुपए सांसद निधि से खर्च कर चुके हैं।

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