क्या यूपी में ब्राह्मण वोट साध पाएंगे पांडा? टिकट वितरण में गुटबाजी खत्म करना होगी मुख्य चुनौती
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मिशन 80 को पूरा करने लिए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा को प्रदेश का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती टिकट वितरण है।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए ओडिशा के ब्राह्मण नेता बैजयंत पांडा को यूपी की कमान सौंपी है। पांडा का ओडिशा के ब्राह्मण सहित अगड़ी जाति के मतदाताओं में बड़ा प्रभाव है। सूत्रों के मुताबिक यूपी में ब्राह्मणों की आबादी करीब 12-14 फीसदी है। 2007 के बाद से ब्राह्मण वोट बैंक भाजपा के साथ रहा है। लेकिन, हाल ही में कांग्रेस और सपा की ओर से ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए भाजपा ने पांडा को कमान सौंपी है।
तीन सह प्रभारी भी नियुक्त होंगे
भाजपा के उच्च पदस्थ पदाधिकारी ने बताया कि आगामी दिनों में लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में तीन सह प्रभारी भी नियुक्त किए जाएंगे। एक सह प्रभारी को दो संगठनात्मक क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी जाएगी।
2019 में बीजेपी में आए
भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिशन 80 को पूरा करने लिए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा को प्रदेश का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। 2019 में भाजपा में शामिल हुए बैजयंत पांडा को पार्टी ने देश के सबसे बड़े राज्य की चुनावी कमान सौंपी है। पांडा पेशे से बड़े उद्योगपति और पांडा उड़ीसा के कद्दावर नेता रहे हैं। वह 2009-2018 तक बीजू जनता दल के टिकट से केंद्रपाडा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं। बीजू जनता दल छोड़ने के बाद उन्होंने मार्च 2019 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। महज पांच वर्ष में उन्होंने पार्टी में यह विश्वास कायम किया है कि पार्टी ने उन्हें सबसे बड़े राज्य का प्रभारी नियुक्त किया है।
इसलिए चुने गए पांडा
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि बैजयंत पांडा का यूपी की राजनीति से पहले कभी वास्ता नहीं रहा है। ऐसे में पांडा केंद्रीय नेतृत्व की मंशा के अनुरूप यूपी में प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रबंधन तक की योजना को अंजाम दे सकेंगे। यूपी में सरकार या संगठन के गुट विशेष को तरजीह देने जैसी संभावना भी नहीं रहेगी।
पांडा की चुनौती
- भाजपा के मिशन 80 को पूरा करना।
- सरकार और संगठन में तालमेल बनाए रखना।
- सीटों के बंटवारे में सहयोगी दलों से समन्वय बनाए रखना।
- प्रत्याशी चयन के बाद नाराजगी को कम करना।
- प्रदेश भाजपा में पनप रही गुटबाजी से खुद को दूर रख पाना।
क्या परंपरा बरकरार रख पाएंगे बैजयंत
भाजपा के गलियारों में ऐसा माना जाता है कि जो लोकसभा चुनाव में यूपी का चुनाव प्रभारी बनता है, वही पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनता है। 2014 लोकसभा चुनाव में अमित शाह यूपी के प्रभारी थे उसके बाद वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2019 में जेपी नड्डा प्रभारी थे फिर वह अध्यक्ष बने। नड्डा का कार्यकाल जून 2024 तक है। यानि लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मिलेगा। बैजयंत पांडा को यूपी का प्रभारी नियुक्त करने के बाद चर्चा शुरू हो गई है कि क्या पांडा उस परंपरा को बरकरार रख पाएंगे।
यूपी के नेताओं का कद बढ़ा
लोकसभा चुनाव में प्रभारियों की नियुक्ति में उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं का कद बढ़ा है। राष्ट्रीय महासचिव डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को केरल के संगठन प्रभारी के साथ अब कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है। एमएलसी महेंद्र सिंह को मध्यप्रदेश, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी को झारखंड, सांसद विजयपाल सिंह तोमर को उड़ीसा और करीब दो साल से नेपथ्य में चल रहे मथुरा के विधायक एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया है। राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर को हरियाणा का सह प्रभारी नियुक्त किया गया है।
यूपी के भाजपा प्रभारी की नियुक्ति का इंतजार
भाजपा ने लोकसभा के चुनाव प्रभारी तो तैनात कर दिया है, लेकिन यूपी में संगठन प्रभारी की नियुक्ति का अब भी इंतजार है। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रभारी राधामोहन सिंह के हटने के बाद से संगठन प्रभारी का पद रिक्त चल रहा है।