Mission 2024 की तैयारी में सभी पार्टियां ताल ठोंकने को तैयार हैं और ऐसे में लोगों को यह लग रहा है कि आखिर ओपी राजभर और भाजपा एक दूसरे से क्याें सटकर खड़ी होती दिख रही हैं। ओमप्रकाश राजभर सपा से गठबंधन टूटने के बाद बसपा और कांग्रेस से दोस्ती की स्थिति में नफा-नुकसान का आकलन कर चुके हैं। उनके समझ में यह आ चुका है कि भाजपा के अलावा किसी अन्य दूसरे दल से गठबंधन करने पर उनकी वह कीमत नहीं रहेगी।
दूसरी तरफ भाजपा नेतृत्व भी समझ चुका है कि पूर्वाचल की सियासी गणित में उसके सामने हिंदू वोटों का बिखराव रोकना और ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करना बहुत जरूरी है। इसलिए राजभर जाति को अपने पाले में रखना जरूरी है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भाजपा राजभर के सीटवार प्रभाव के दावे का आकलन कर रही है। इसके बाद ही सीटों के बंटवारा का फॉर्मूला तय होगा।