जाने को हम पाकिस्तान चले जाते, पर ये दोस्त कहां मिलेंगे, इन बयानों से रहे चर्चा में
मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार रात निधन हो गया। उनकी बेटी सुमैया राना ने बताया कि रात साढे़ ग्यारह बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में मैनेजिंग डायरेक्टर रहे एपी मिश्रा की नींद उड़ चुकी थी। कहते है कि बड़ा बेईमान निकला। कहता था कि जाने को हम पाकिस्तान चले जाते, पर ये दोस्त कहां मिलेंगे। पर अब देखो। कहते हैं कि ये बड़े लोग हैं जीने का हुनर जानते हैं....ये पंक्तियां हम कुछ दोस्त थे, जिन पर लिख डाली थीं। मुलाकात 2000 कुंभ में हुई थी। तब से शायद कोई एक दिन नहीं रहा, जब बात न होती हो। अभी कुछ दिन पहले वादा किया था कि मेरे चैंबर में आकर मुझे कुछ सुनाएगा। सब झूठ निकला।
इन बयानों की वजह से रहे चर्चा में
योगी दोबारा मुख्यमंत्री बने तो कर लूंगा पलायन : प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान-पलायन और जिन्ना को लेकर हो रही सियासत को बेमतलब करार देते हुए शायर मुनव्वर राना ने कहा, 'वर्तमान सरकार पलायन-पलायन खेल रही है। उन्होंने योगी सरकार पर उन्हें और मुसलमानों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार आ जाती है और योगी फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं तो हमें यहां रहने की जरूरत नहीं है, मैं यहां से पलायन कर लूंगा।
जिन्ना और पाकिस्तानसे चुनाव का क्या लेना-देना : शायर मुनव्वर राना ने कहा कि जनता असल मुद्दों पर गौर करके वोट डालेगी। जिन्ना और पाकिस्तान से चुनाव का क्या लेना देना? उन्होंने कहा कि बार बार पाकिस्तान, तालिबान, अब्बाजान जैसी की बात करने का मतलब है कि हिंदुस्तानी मुसलमानों पर आप शक करते हैं। उनके खिलाफ नफरत का माहौल बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक शायर के दिल मे कौम का दर्द होता है। यही वजह है कि भाजपा सरकार ने हमें परेशान किया।
एक सरपरस्त...
जानी मानी शायरा सबीना अदीब औरंगबाद एक मुशायरे में थीं। लगातार मोबाइल घनघनाए तो फोन उठाया और निधन की सूचना पाते ही कह उठीं, सरपरस्त चला गया। अंतरराष्ट्रीय मुशायरों में जब हम जाते तो लगता की एक अभिभावक, एक सरपरस्त हमारे साथ हैं।
गमजदा हम सब
गज़ले उदास, शहर ए तमन्ना उदास है तुम क्या गए, सारा ज़माना उदास है, कुछ इन शब्दों में मंजर भोपाली ने अपना गम बयां किया। कहते हें कि मेरा उनसे 35 साल पुराना रिश्ता था। आज उनके न रहने पर बहुत मायूस हूं। उनका लहज़ा सारे जमाने के शायरों से जुदा था। जिसने उनको दुनिया का बेहतरीन शायर बना दिया।
उनकी भरपाई नहीं
सर्वेश अस्थाना कहते हैं कि दूसरा मुनव्वर राना कोई नहीं हो सकता। उन्होंने जो लिख दिया, वो बस वे ही लिख सकते थे। उनके जाने की भरपाई नहीं हो सकती।
कुछ शेर जो अब यादों में...
तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
अपनी फजा से अपने जमानों से कट गया
पत्थर खुदा हुआ तो चट्टानों से कट गया
बदन चुरा के न चल ऐ कयामते गुजरां
किसी-किसी को तो हम आंख उठा के देखते हैं
झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है
कोई दुख हो, कभी कहना नहीं पड़ता उससे
वो जरूरत हो तलबगार से पहचानता है
एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया
इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इस से ज़यादा मैं तेरा हो नहीं सकता
वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है
रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है