उ.प्र. संस्कृत संस्थान का पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर 2024- 25 का शुभारंभ

By :  Neeraj Jha
Update: 2024-04-22 09:16 GMT


पुरोहित हमारे धर्म तंत्र में मशाल सदृश रहा है - डा आरके आर्य

गाजियाबाद  उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के तत्वावधान में  पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर (निःशुल्क) वित्तीय वर्ष 2024- 25 का शुभारंभ प्रशिक्षण केन्द्र गाजियाबाद में आमंत्रित अतिथियों, विद्वानों,आश्रम के ब्रह्मचारियों के साथ शंभू दयाल दयानन्द वैदिक सन्यास आश्रम, दयानन्द नगर में शुभारंभ किया गया। डा अग्निदेव शास्त्री ने बताया कि आज उत्तर प्रदेश के सभी प्रशिक्षण केन्द्रों पर एक साथ प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ है।

गाजियाबाद केन्द्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी सूर्यवेश तथा संचालन प्रशिक्षक डा.अग्नि देव शास्त्री ने किया सभी आमंत्रित अतिथियों विद्वानों आश्रम के कर्मचारियों के साथ 2024 - 25 के शिविर का शुभारंभ किया गया जिसमें मुख्य रूप से सर्वश्री योगी प्रवीण कुमार, आचार्य जितेंद्र,डा. प्रमोद सक्सेना आदि उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि "संस्कृत संस्थान उत्तर प्रदेश" में अपने केंद्र के द्वारा संस्कृत सम्भाषण, योग प्रशिक्षण, वस्तु एवं ज्योतिष के भी पाठ्यक्रमों का संचालन कर प्रशिक्षण देता है। 

डा आरके आर्य निर्देशक स्वदेशी आयुर्वेद हरिद्वार ने बताया कि भारतीय राजतंत्र में तो पुरोहित को सचिव, वैद्य, गुरु सभी कुछ माना गया है राज्य में युद्ध, बीमारी, अकाल आदि किसी संकट में राजपुरोहित का परामर्श जहां दिशा निर्देशक रहा है वहीं शांति की स्थिति में राज्य के विस्तार एवं समृद्धि के लिए भी उसकी सदैव निर्णायक भूमिका रही है। सामाजिक पर्वों तथा विभिन्न कृत्यों और प्रक्रिया के निर्धारण हेतु भी उसका परामर्श अपरिहार्य रूप से लिया जाता रहा है इस प्रकार पुरोहित हमारे धर्म तंत्र में सभी नित्य नैमित्तिक तथा काम्य कर्मों के लिए अग्नि की भांति जीवन में अग्र प्रकाश (मशाल) सदृश रहा है।

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