UP News: बुजुर्ग माता-पिता पर अत्याचार करने वाले होंगे संपत्ति से बेदखल, नियमावली में संशोधन पर विचार

Update: 2023-08-26 05:25 GMT

उत्तर प्रदेश में अब बूढ़े माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों पर अत्याचार करने पर उनके वारिसों को उनकी संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है। इसके लिए राज्य सरकार माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण नियम-2014 में संशोधन करने पर विचार कर रही है. इस संबंध में शुक्रवार को समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया गया. प्रस्तावित संशोधनों पर राज्य सरकार महाधिवक्ता की सलाह लेकर आगे बढ़ेगी।

उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 को स्वीकार कर वर्ष 2014 में नियम लागू किया गया था। राज्य सातवें विधि आयोग ने इस नियम में संशोधन की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि ये नियम केंद्रीय कानून के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। मौजूदा समय में नियमों के तहत बुजुर्गों की देखभाल न करने पर अधिकतम 10,000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण भत्ता या एक महीने की सजा का प्रावधान है.

इसलिए सातवें विधि आयोग ने नियमावली के नियम-22 में तीन उपधाराएं जोड़ने की अनुशंसा की है. इसमें वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल नहीं करने पर उनके बच्चों या रिश्तेदारों को उस संपत्ति से बेदखल करने का प्रावधान किया गया है, जिस पर वरिष्ठ नागरिकों का कानूनी अधिकार है। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होगी.

बेदखली के लिए संशोधन प्रस्तावित

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को सुनने के लिए हर तहसील में एसडीएम की अध्यक्षता में एक न्यायाधिकरण और जिले में डीएम की अध्यक्षता में एक अपील न्यायाधिकरण है। प्रस्तावित संशोधनों में कहा गया है कि वरिष्ठ नागरिक किसी को अपनी संपत्ति से बेदखल करने के लिए ट्रिब्यूनल में आवेदन कर सकते हैं। यदि वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हैं तो कोई संगठन भी उनकी ओर से ऐसा आवेदन दाखिल कर सकता है।

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