यूपी: विधानसभा और विधान परिषद सचिवालय में भर्तियों की होगी सीबीआई जांच, छह हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद सचिवालय में हाल ही में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। छह सप्ताह के भीतर प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भी सौंपने को कहा गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी तथा न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने सुशील कुमार व दो अन्य की विशेष अपील के साथ ही विपिन कुमार सिंह की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने इस धांधली मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका (पीआईएल) के तौर पर दर्ज करने का भी आदेश दिया है.
गौरतलब है कि साल 2022 से 2023 के बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद सचिवालय में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की भर्ती की गई थी. इसमें व्यापक धांधली का मामला हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष उठाया गया था. आरोप है कि चयन प्रक्रिया में कई नियमों की अनदेखी की गई और बाहरी भर्ती एजेंसियों को तरजीह दी गई. इसके लिए मनमाने तरीके से नियमों में संशोधन भी किया गया.
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 12 अप्रैल को इस मामले में दायर याचिका खारिज कर दी थी. इसके खिलाफ दो जजों की खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान कथित अनियमितताओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए खंडपीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है. साथ ही मामले में पेश किए गए मूल अभिलेखों को सीलबंद लिफाफे में रखा गया था. कोर्ट ने जनहित याचिका में सहायता के लिए अधिवक्ता डॉ. एलपी मिश्रा को न्यायमित्र नियुक्त किया है.
कोर्ट ने आदेश में यह भी टिप्पणी की कि सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए प्रतिस्पर्धा मूल नियम है. इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए भर्ती एजेंसियों की विश्वसनीयता बहुत महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने विशेष अपील और जनहित याचिका को नवंबर के पहले सप्ताह में सूचीबद्ध करने का भी आदेश दिया है.|