करोड़ों की है विवादित जमीन, सामने संपर्क मार्ग, बगल में एक्सप्रेसवे; उन्नाव कांड की कहानी

By :  SaumyaV
Update: 2023-12-13 12:09 GMT

उन्नाव में जमीन के विवाद में चाचा को जिंदा जलाने का मामला सामने आया है। भतीजों ने दुकान से खींचकर पेट्रोल डाला और आग लगाकर भाग गए। जिस जमीन को लेकर विवाद है उसके ठीक सामने संपर्क मार्ग है। जबकि इसी जमीन के पीछे से एक्सप्रेसवे निकल रहा है। इससे जमीन की कीमत 1.5 करोड़ से अधिक आंकी जा रही है। 

उन्नाव में जमीन और दुकानों के विवाद में पूर्व प्रधान के बेटे ने चचेरे भाइयों के साथ मिलकर चाचा पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। सूचना पर पहुंचे परिजन उसे स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। हालत गंभीर देख जिला अस्पताल भेज दिया गया। वहां से गंभीर देख उसे लखनऊ के सिविल अस्पताल रेफर कर दिया गया। घटना से नाराज परिजनों ने हसनापुर-सोहरामऊ मार्ग पर जाम लगा दिया। बेटी की तहरीर पर पूर्व प्रधान चाचा, तीन चचेरे भाइयों समेत 10 के खिलाफ हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। 

सोहरामऊ थाना क्षेत्र के हसनापुर गांव निवासी वीरेंद्र सिंह (55) पुत्र कन्हई लाल का अपने चचेरे भाई पूर्व प्रधान वीरेंद्र सिंह पुत्र जगन्नाथ सिंह से करीब 25 साल से 12 बिसुआ जमीन और दो दुकानों को लेकर विवाद चल रहा है। शनिवार को हसनगंज एसडीएम ने पूर्व प्रधान के प्रार्थनापत्र पर जमीन के सीमांकन का आदेश दिया था।

नायब तहसीलदार ने कब्जा दिलाया था। इस जमीन पर दो दुकानें और बरामदा भी बना है। पीड़ित वीरेंद्र परचून और चोकर की दुकान किए है। जमीन पर कब्जा मिलने के बाद पूर्व प्रधान वीरेंद्र और अन्य परिजन दुकानों को भी खाली कराना चाहते हैं। उधर वीरेंद्र पुत्र कन्हई लाल, अपने चचेरे भाई पर सत्ता पक्ष के एक नेता की मदद और पहुंच के बल पर गलत तरीके से सीमांकन कराने और कब्जा लेने का आरोप लगाते हुए कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही थी।

मंगलवार सुबह करीब सात बजे वीरेंद्र दुकान खोलने पहुंचा। करीब एक घंटे बाद पूर्व प्रधान का छोटा बेटा जितेंद्र उर्फ जीतू अपने चचेरे भाई सूर्यकुमार के पुत्र शुभम और वैभव उर्फ शीशू के साथ दुकान पहुंचे और वीरेंद्र को खींचकर दुकान के पीछे ले गए। पीड़ित के मुताबिक भतीजे वैभव उर्फ शिशु ने उसे पकड़ लिया। जितेंद्र ने उस पर बोतल से पेट्रोल डाला और शुभम सिंह ने आग लगा दी। आग की लपटें उठने पर सभी भाग गए। मौके पर पहुंचे परिजनों ने आग बुझाकर वीरेंद्र को नवाबगंज सीएचसी पहुंचाया। वहां से उसे जिला अस्पताल भेजा गया।

सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश और सिटी मजिस्ट्रेट अरुण मणि त्रिपाठी पहुंचे। सिटी मजिस्ट्रेट ने बयान दर्ज किए। करीब 55 प्रतिशत झुलसने से उसे सिविल अस्पताल लखनऊ रेफर कर दिया गया। उधर घटना से गुस्साए परिजनों ने हसनापुर-सोहरामऊ संपर्क मार्ग पर जाम लगा दिया। सोहरामऊ एसओ कमल कुमार दुबे व कई थानों की फोर्स पहुंची। परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन देकर शांत कराने का प्रयास किया। सीओ संतोष सिंह ने एसओ को रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिया तब करीब चार घंटे बाद सुबह 11 बजे परिजन शांत हुए और सड़क से हटे।

घायल वीरेंद्र की बेटी सोनी की तहरीर पर पूर्व प्रधान वीरेंद्र सिंह, उनके भाई जगदीश सिंह, सूर्य कुमार सिंह, भतीजे वैभव सिंह, शुभम सिंह, जितेंद्र सिंह, रविंद्र, अजय, विजय, अरुण पर अनाधिकृत रूप से खरीद फरोख्त करना, उपद्रव बलवा, मारने के लिए घातक ज्वलनशील पदार्थ डालने और हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। - कमल कुमार दुबे, एसओ, सोहरामऊ

विवादित जमीन करोड़ों की, सामने संपर्क मार्ग बगल में एक्सप्रेसवे

हसनापुर गांव की जिस 12 बिसुआ जमीन के लिए घटना हुई है, उसकी कीमत करोड़ों में है। पीड़ित व उसके परिजनों का आरोप है कि पूर्व प्रधान ने सत्तादल के एक नेता से करीबी बनाकर उनके माध्यम से राजस्व कर्मियों से साठगांठ कर जमीन पर कब्जा ले लिया और आनन-फानन उसमें बाउंड्रीवाल बनाने लगे।

जिस जमीन को लेकर विवाद है उसके ठीक सामने संपर्क मार्ग है। जबकि इसी जमीन के पीछे से एक्सप्रेसवे निकल रहा है। इससे जमीन की कीमत 1.5 करोड़ से अधिक आंकी जा रही है। करीब 40 साल से पीड़ित वीरेंद्र का इस जमीन पर बनी दुकानों पर कब्जा है। पीड़ित के बेटे राम सिंह ने बताया कि वर्ष 2000 में गांव में चकबंदी शुरू हुई जो 2003 में पूरी हुई। उस दौरान पूर्व प्रधान वीरेंद्र सिंह ने चकबंदी कर्मियों से साठगांठ कर जमीन को अपने हिस्से में दर्शा दिया।

पीड़ित के बेटे ने एएसपी शशि शेखर सिंह को बताया कि पूर्व प्रधान ने पैसे और रुतबे के बल पर नक्शे में हेराफेरी कराकर भूमि संख्या बदलवा दी। तब से राजस्व न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। बेटे का आरोप है कि तहसील के अधिकारियों पर दबाव बनाकर शनिवार को ही कब्जा ले लिया गया। क्योंकि रविवार को छुट्टी की वजह से न्यायालय बंद रहेगा और तब तक वह अपना कब्जा कर लेंगे। बताया कि रातों रात अस्थाई दीवार बनाने लगे।

लेखपाल बोले कब्जा दिलाया था

विवादित जमीन पर कब्जा दिलाने वाले लेखपाल अरविंद गुप्ता ने बताया कि रकबा संख्या 166 पर पूर्व प्रधान के भाई सूर्यकुमार सिंह ने हदबरारी का प्रार्थना पत्र दिया था। जिसका शनिवार को सीमांकन कराकर कब्जा दिलाया गया था। उसमें आनन फानन सीमेंटेड चहारदीवारी भी खड़ी करा दी गई थी। बताया कि पीड़ित का रकबा कम है जो कि उसके सगे भाइयों द्वारा कागज से अधिक जगह पर कब्जा कर निर्माण करवा लिया गया है।

अफसरों के सामने छलका ग्रामीणों का दर्द

जांच करने पहुंचे अधिकारियों को ग्रामीणों ने अपना दर्द बयान किया। गांव के रामनरेश ने बताया कि वर्ष 2011 में बेटी की शादी के लिए पूर्व प्रधान वीरेंद्र सिंह से पचास हजार रुपये लिए थे। साल 2013 तक टुकड़ों में उन्हें लौटा भी दिया। उसके बाद भी उन्होंने मकान अपने नाम कराने का प्रयास किया।

गांव की सीमा सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधान ने उसकी तीन बीघा जमीन पर कब्जा कर रखा है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। वर्तमान में सीमा ही जमीन पर काबिज है। वहीं सजीवनलाल ने भी पूर्व प्रधान पर जमीन कब्जे की शिकायत की है। पूर्व प्रधान की दबंगई से आजिज होकर ग्रामीणों ने इस बार चंद्रभान यादव को प्रधान बनाया था।

जितेंद्र पर पहले से दर्ज है हत्या की कोशिश की रिपोर्ट

पूर्व प्रधान वीरेंद्र सिंह का बेटा जीतू शातिर अपराधी है। उस पर पहले से हत्या की कोशिश की रिपोर्ट दर्ज है। जमीन कब्जे के लिए लालपुर के भोलानाथ मिश्र और एतबारपुर के कमलाशंकर शुक्ल से पहले उसका विवाद हुआ था। इस पर उसने भोलानाथ मिश्र को जान से मारने का प्रयास किया था। जीतू पर वह भी मुकदमा अभी चल रहा है।

पति के साथ लखनऊ गई पत्नी, घर पर बच्चे, पीएसी तैनात

आग से झुलसे वीरेंद्र सिंह को लखनऊ के सिविल अस्पताल रेफर किया है। साथ में उसके पत्नी गीता और बेटा मयंक गया है। जबकि दूसरा बेटा राम सिंह और अन्य परिजन घर पर हैं। घटना के बाद से आरोपी फरार हैं। रात में कहीं कोई और घटना न हो इसके लिए पीएसी बल को तैनात कर दिया गया है। यही नहीं युवक ने आग खुद लगाई या फिर लगाई गई। पुलिस इसकी भी जांच कर रही है। 

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