भावुक हुए दरोगा.... गोद ली गई नवजात को करना होगा वापस

By :  Neeraj Jha
Update: 2024-10-12 12:05 GMT


- न्यायपीठ बाल कल्याण समिति ने दिया आदेश- दरोगा को अस्पताल में भर्ती करानी होगा नवजात

मोहसिन खान

गाजियाबाद। वेव सिटी थाना क्षेत्र की डासना रजवाहे में झाड़ियों में मिली नवजात को पुलिस चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह द्वारा गोद लेने के मामले में न्याय पीठ बाल कल्याण समिति ने एक आदेश जारी किया है। चौकी प्रभारी को नवजात शिशु को अब समिति के समक्ष पेश करना होगा। चौकी प्रभारी ने कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्ची को गोद नहीं लिया था। नवजात को वापस करने का आदेश मिलने के बाद दरोगा और उनकी पत्नी भावुक हो गए। नियम के तहत लावारिस बच्चे को पीठ के समक्ष पेश करना होता है।

डासना के रजवाहे में पुलिस को लावारिस नवजात मिलने की जानकारी मिली थी। पुलिस ने मौके पर पहुंची कर नवजात के बारे में पता किया। इसके बाद दूधिया पीपल पुलिस चौकी प्रभारी ने पुष्पेंद्र सिंह ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जाहिर की। वर्ष 2018 में शादी के बाद उनको कोई संतान नहीं थी। नवजात को गोद लेने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी से फोन कर बात की थी। पत्नी की इजाजत मिलने पर दरोगा ने बच्ची को गोद लिया था। इस मामले में न्याय पीठ बाल कल्याण समिति ने संज्ञान लिया है। समिति ने नवजात बच्ची को जिला एमएमजी अस्पताल गाजियाबाद में नर्सरी में भर्ती कराने का आदेश दिया है। पुलिस को बच्ची को स्वस्थ घोषित किए जाने पर न्याय पीठ बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।

आदेश में हवाला दिया गया है कि किशोर न्याय अधिनियम- 2015 के तहत गठित न्यायपीठ बाल कल्याण समिति द्वारा जिले के समस्त चाइल्ड इन नीड एंड ऑफ केयर एंड प्रोटक्शन एवं लावारिस शिशु की समस्त जिम्मेदारी एवं संरक्षण लेने का प्रावधान है। पुलिस बल और कोई भी व्यक्ति इस प्रकार किसी भी बच्चे व बच्ची को विधिक रूप से गोद नहीं ले सकता। बालक- बालिकाओं को विधिक रूप से गोद लेने के लिए शासन के अंतर्गत कानूनी प्रक्रिया को पूरा करना पड़ता है। कानूनी प्रक्रिया से चयनित माता-पिता की जांच कर लेने के बाद बच्चे विधिक रूप से गोद का कार्य संपन्न करवाया जाता है। बिना विधिक प्रक्रिया पूरी किए बिना किसी को भी बच्चे को गोद लेने का अधिकार नहीं है। 

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