सोनू सिंह
गाजियाबाद। गाजियाबाद की राजनीति बदल रही है। अब जनता प्रदर्शन भी कर रही है, धरने भी दे रही है। शुक्रवार को नगर गिनम कार्यकारिणी का चुनाव होने की तैयारी होने की तैयारी हो रही थी तब नगर निगम में दो धरने चल रहे थे। सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे और शहर के वो दुकानदार किराया बढ़ोतरी को लेकर मैदान में थे जो नगर निगम की दुकानों में किरायेदार हैं। तस्वीर ये बता रही थी कि उपचुनाव में भाजपा को ये किराया बढ़ोत्तरी का ये घमासान भारी न पड़ जाए।
जनता दुकानदार भी है और समाधान चाहती है। सारे जनप्रतिनिधि भाजपा के है और फिर भी 1702 दुकानों के किरायों का समाधान नहीं हो पा रहा है। बड़ी बात ये है कि नगर निगम में प्रदर्शन करने के लिए दो चार या दस व्यापारी नहीं आये थे यहां निगम मुख्यालय में व्यापारियों का एक जमावड़ा था। हाय-हाय मुदार्बाद के नारे किसके लिए लग रहे थे ये सब सुन रहे थे। अधिकारी क्या बता रहे हैं ये अलग बात है। लेकिन जनता को उम्मीदें जनप्रतिनिधियों से है और अगर उस छोर से समाधान नहीं निकल रहा है तो एक इंटरनल घमासान शुरू हो जाता है। किराये का जिन्न बोतल से बाहर आ रहा है। नगर निगम एक ऐसा विभाग है जो सीधे जनता से कनेक्ट रहता है। जन आक्रोश अगर जनता का है तो ये आक्रोश के सरकार और जनप्रतिनिधि के खिलाफ है और इस व्यापारी समूह से ये आवाज भी आ रही थी कि चुनाव पास है और अगर हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है तो हम किसी के बंधुआ मजदूर नहीं है।