गूंजे नारे... अवधपुरी से कल्कि धाम-जय श्रीराम जय श्रीराम, हिंदुत्व के एजेंडे को भी पीएम मोदी ने दी धार

By :  Shashank
Update: 2024-02-20 06:46 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभल में श्री कल्कि धाम के शिलान्यास कार्यक्रम में किसी दल या नेता का नाम लिए बिना सियासी संदेश देने में कामयाब रहे। इस दौरान उन्होंने हिंदुत्व के एजेंडे को भी धार दी।

अवसर श्री कल्कि धाम के शिलान्यास का था। मंच भी धार्मिक था तो जिक्र अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से लेकर कल्कि धाम के शिलान्यास समारोह तक हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के श्रीराममंदिर से लेकर अबू धाबी में मंदिर के निर्माण का जिक्र करके हिंदुत्व के एजेंडे को धार दी तो उज्जैन के महाकाल मंदिर, काशी, उत्तराखंड के तीर्थस्थलों की चर्चा भी की।

उन्होंने बीच-बीच में श्लोक सुनाए और उनका अर्थ भी बताया। इस कार्यक्रम के दौरान एक नया धार्मिक नारा गूंजा, अवधपुरी से कल्कि धाम, जय श्रीराम, जय श्रीराम। तीस मिनट के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने धार्मिक बातों के साथ विकास का एजेंडा भी बताया। बिना किसी का नाम लिए विरोधियों पर निशाना भी साधा।

कल्कि धाम के काम में आचार्य प्रमोद कृष्णम के सामने आई परेशानियों का जिक्र करते हुए पिछली सरकारों के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया। साथ ही मौजूदा सरकार में बेखौफ कल्कि धाम का काम शुरू होने की बात कहकर यह संदेश भी दिया कि मोदी है तो हर धार्मिक कार्य मुमकिन है।

महिलाओं, किसानों और गरीबों का जिक्र कर उन्होंने सबको साधने की कोशिश की। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की बात कहकर उन्होंने यह संदेश दिया कि उनकी सरकार में सबका ख्याल रखा जा रहा है। कल्याणकारी योजनाओं में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं है।

विकास के लिहाज से उन्होंने हाईवे, बुलेट ट्रेन, डिजिटल इंडिया और विदेशी निवेश की बात कहकर यह बताया कि अब नए दौर के भारत की बात होती है। केंद्र की तमाम योजनाओं के हवाले से 10 साल के काम भी गिनाए। सम्मान निधि की बात करके किसानों तो रसोई गैस के जिक्र से महिला वर्ग के प्रति अपनी चिंता को भी स्पष्ट किया।

गीता के श्लोक के माध्यम से बताई कर्म की प्रधानता

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन (फल की चिंता किए बिना कर्म किए जाओ) बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि श्रीकृष्ण के ये वचन आज 140 करोड़ देशवासियों के लिए जीवन मंत्र की तरह हैं। अगले 25 वर्षों के इस कर्तव्यकाल में हमें परिश्रम की पराकाष्ठा करनी है। हमें निस्वार्थ भाव से देश सेवा को सामने रखकर काम करना है। हमारे हर प्रयास में, हमारे हर काम से राष्ट्र को क्या लाभ होगा, ये प्रश्न हमारे मन में सबसे पहले आना चाहिए। यही प्रश्न राष्ट्र की सामूहिक चुनौतियों का समाधान पेश करेगा।

शम्भले वस-तस्तस्य सहस्र परिवत्सरा...

आचार्य प्रमोद कृष्ण के हवाले से पीएम ने कहा कि कल्कि पुराण में श्लोक है, शम्भले वस-तस्तस्य सहस्र परिवत्सरा। अर्थ बताते हुए कहा कि भगवान राम की तरह ही कल्कि का अवतार भी हजारों वर्षों की रूपरेखा तय करेगा।

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