शिखा दुबे हत्याकांड: 12 साल में यह तक साबित नहीं..शिखा दुबे नहीं पूजा की थी लाश; मामला जानकर हो जाएंगे हैरान

Update: 2023-11-28 07:02 GMT

साल 2011 में शिखा दुबे हत्याकांड ने लोगों को हैरान कर दिया था। जिस शिखा को लोग मरा समझ रहे थे, वह अपने प्रेमी दीपू के साथ सोनभद्र में रह रही थी। प्रेमी-प्रेमिका को जेल भेजने के साथ पुलिस पड़ताल में बरामद लाश सोनभद्र की पूजा की बताई गई। जेल से निकलकर दोनों ने अलग-अलग अपने घर बसा लिए, मगर इस हत्याकांड से जुड़ी फाइल 12 साल से तारीखों में उलझ कर रह गई। मारी गई पूजा से जुड़े साक्ष्यों पर गवाही तक नहीं हो सकी। एसपी सिटी ने पुराने मुकदमों की फाइल खंगाली तो पुलिस सक्रिय हुई। इसी पांच दिसंबर को इस केस की अगली तारीख पड़ी है।

तब सुर्खियों में रहे इस हत्याकांड में हैरानी वाली बात यह थी कि गोरखपुर में किसी और महिला की लाश को अपनी बेटी का समझ कर उसके पिता अंतिम संस्कार कर चुके थे। पुलिस ने घटना का खुलासा किया। फिर शिखा, उसके प्रेमी दीपू यादव समेत तीन लोगों को जेल भिजवाया गया। जमानत पर सब बाहर आ गए और इधर गवाह, साक्ष्य न होने की वजह से कोर्ट में सिर्फ तारीख पर तारीख ही पड़ रही है।


पुलिस ने शिखा की जिस सहेली को गवाह बनाया था, वह किराये का कमरा छोड़कर चली गई और आज कहां है, यह कोई नहीं जानता। दूसरा गवाह मिर्जापुर का वह ढाबा वाला था, जिसके ढाबे से पूजा को लेकर लोग गोरखपुर आए थे। वह भी गवाही के लिए आगे नहीं आया। हत्याकांड में एडीजी द्वितीय कोर्ट में अगली तारीख पांच दिसंबर 2023 को है। पुलिस को इसमें साक्ष्य को साबित करना है।

घटना 11 जून 2011 की है। सिंघड़िया में एक युवती की लाश मिली थी। उसकी कदकाठी और उम्र से पता चला कि वह इंजीनियरिंग कॉलेज के कमलेशपुरम कॉलोनी इलाके से गायब युवती शिखा दुबे है। उसके पिता को बुलाया गया। रिश्तेदार भी जुटे, सबने माना लाश शिखा की ही है। इस दौरान पिता रामप्रकाश दुबे ने पड़ोसी दीपू पर हत्या की आशंका जताई और केस दर्ज करा दिया।


पुलिस जांच करने पहुंची तो पता चला कि दीपू भी घर से लापता है। जांच के दौरान पुलिस को खबर मिली कि आरोपी दीपू सोनभद्र में है। सोनभद्र पहुंची पुलिस टीम तब हैरान रह गई, जब वहां केवल दीपू ही नहीं, शिखा भी मौजूद मिली। पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर गोरखपुर लेकर आई। यहां आने के बाद शिखा ने एक ऐसी कहानी सुनाई कि पुलिस दंग रह गई।

उसने बताया कि उसे पड़ोसी दीपू यादव से प्यार हो गया था। दोनों को पता था कि उनके घरवाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होंगे। ऐसे में दोनों ने घर से भागने और परिजनों से पीछा छुड़ाने के लिए एक खतरनाक साजिश रची। दोनों ने तय किया कि शिखा की कद काठी की किसी महिला की हत्या कर उसे शिखा की पहचान दे दी जाए।


सोनभद्र से नौकरी के बहाने लाई गई थी पूजा

हत्या की इस साजिश में दीपू का दोस्त सुग्रीव भी शामिल था, जो एक ट्रांसपोर्ट कारोबारी था। उसका अक्सर सोनभद्र जाना होता था। वहां वह एक ऐसी लड़की को जानता था, जो कद काठी में शिखा से बहुत मिलती थी। उसका नाम पूजा (25) था। पूजा तीन साल की बच्ची की मां थी। दीपू और सुग्रीव उसे गोरखपुर में तीन हजार रुपये की नौकरी दिलाने के बहाने ले आए। सुग्रीव 10 जून की रात में पूजा को ट्रक से कुनराघाट लाया और उधर, शिखा दीपू के साथ घर से भागकर कुसम्ही जंगल पहुंच गई। जंगल में ट्रक में सवार पूजा को शिखा ने वह कपड़े पहना दिए, जिन्हें पहनकर वह घर से निकली थी। इतना ही नहीं उसके गले में एक धागा डाला गया, जो शिखा हमेशा पहनती थी। इसके बाद ट्रक में ही पूजा की हत्या कर दी गई।


दोनों ने कर ली है अलग-अलग शादी

इस कत्ल में ट्रक का खलासी बलराम भी चंद रुपये के लालच में शामिल हो गया। हत्या के बाद सबने पूजा की लाश का चेहरा धारदार हथियार से इस कदर बिगाड़ दिया कि असली लड़की की पहचान ना हो सके। फिर सिंघड़िया के पास लाकर शव को फेंक दिया गया। इस हत्या का आरोपी बनाते हुए पुलिस ने शिखा और दीपू को जेल भिजवा दिया, बाद में दोनों जमानत पर रिहा हो गए। जेल से बाहर आने के बाद दोनों ने अलग-अलग शादी करके अपनी अलग दुनिया बसा ली। फिलहाल केस, अदालत में अभी भी चल रहा है।


एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि पुलिस बड़े मामलों की सूची तैयार कर साक्ष्यों के साथ कोर्ट में पैरवी कर रही है। इस मामले में भी पुलिस पूरे केस में साक्ष्य को प्रस्तुत करेगी ताकि आरोपियों को सजा हो सके। केस की अगली तारीख पांच दिसंबर है, उस दौरान साक्ष्य को साबित करने के लिए पुलिस तैयारी से जाएगी।

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