बढ़ता तापमान बिजली विभाग के लिए बना जी का जंजाल, डेढ़ महीने में फुंक गए 252 ट्रांसफार्मर

Update: 2024-06-17 11:22 GMT

सोनू सिंह

गाजियाबाद। बढ़ता तापमान लोगों के साथ बिजली विभाग की परेशानी को भी बढ़ा रहा है। बीते लगभग डेढ़ महीने के दौरान तापमान और ओवरलोडिंग के चलते जिले में बिजली के 252 ट्रांसफार्मर फुंक चुके हैं। इनमें से 40 ट्रांसफार्मरों में आग लगने की घटना हुई हैं। गंभीर बात यह है कि जिले में 17 प्रतिशत से ज्यादा ट्रांसफार्मर ऐसे हैं जो सड़कों पर हैं और सुरक्षा के लिहाज से पूरी तरह से खतरनाक हैं। इन ट्रांसफार्मरों के इर्द गिर्द जाली लगाना तो दूर लोहे के तार तक नहीं है। बहुत से ट्रांसफार्मर के लिए उचित प्लेटफार्म भी नहीं बना है। ऐसे ट्रांसफार्मरों से करंट फैलने के साथ ही आसपास के लोगों को खतरा बना रहता है।

गर्मी में बिजली की मांग बढ़ने के साथ ही ट्रांसफार्मर ओवर लोड हो रहा है और बढ़ता तापमान उनकी हीट को और ज्यादा बढ़ा रहा है। जिसके कारण ट्रांसफार्मर लगातार फुंक रहे हैं। ट्रांसफार्मर फुंकने की सबसे ज्यादा मामले देहात क्षेत्र में हो रहे हैं। जानकार बताते है कि घटिया कनेक्शन के चलते ट्रांसफार्मरों में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। इसके अलावा सिटी जोन और ट्रांस हिंडन जोन में ओवरलोड और अधिक तापमान ट्रांसफार्मर फुंकने का कारण बन रहे हैं। पूरे जिले में बिजली के लगभग 20 हजार ट्रांसफार्मर लगे हैं और उनमें से लगभग साढ़े तीन हजार ट्रांसफार्मर लोगों के लिए असुरक्षित हैं। इनमें कई ट्रांसफार्मर तो ऐसे हैं जिन्हें सड़क पर बिना प्लेटफार्म के रखा गया है और उनके चारों ओर लोहे के तार तक नहीं लगाए गए हैं। ऐसे ट्रांसफार्मरों से अक्सर तेल चोरी होने की भी घटनाएं होती हैं। कई इलाकों में तो चोर पूरा ट्रांसफार्मर ही चुराकर ले जाते हैं। इस तरह रखे ट्रांसफार्मरों से करंट फैलने और आग लगने पर ज्यादा नुकसान होने का खतरा बना रहता है।

विजयनगर, इस्लाम नगर, जीटी रोड, कविनगर, नेहरू नगर समेत जिले के अधिकांश हिस्सों में बिजली के ट्रांसफार्मरों के पास पान-बीड़ी के खोखे या ठेले लगे हैं। विभागीय स्तर पर कई बार अभियान चलाकर ट्रांसफार्मर के नीचे से खोखे हटवाए गए थे लेकिन अभी भी कई स्थानों पर इस तरह के खोखे संचालित हो रहे हैं। इन खोखों पर अक्सर लोग जमा रहते हैं, जिससे ट्रांसफार्मर में आग लगने पर बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है। गर्मी बढ़ने के साथ ही शहरी क्षेत्र में बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। सामान्य तौर पर सर्दी में शहरी क्षेत्र में 600 मेगावॉट की मांग होती है लेकिन गर्मी में यह मांग लगभग दोगुना हो जाती है। फिलहाल शहरी क्षेत्र में 1220 वॉट से ज्यादा की मांग चल रही है। हालांकि इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो बिजली निगम के पास इतने संसाधन और बिजली घर हैं कि 2300 मेगावॉट की डिमांड को भी पूरा कर सकते हैं, लेकिन मांग के अनुसार ट्रांसफार्मरों की क्षमता में बढ़ोतरी नहीं हो सकी है, जिसके कारण आए दिन ट्रांसफार्मर फुंकने की घटनाएं हो रही हैं।

देहात जोन के चीफ इंजीनियर प्रमोद कुमार सिंह का कहना है कि ट्रांसफार्मर के पास नगर निगम की ओर से कूड़ा जमा कर दिया जाता है। इस संबंध में नगर निगम को पत्र भेजा जा रहा है, जिससे ट्रांसफार्मर के नीचे या उसके पास कूड़ा न डाला जाए। इसके अलावा लोगों को भी कम से कम गर्मी में ट्रांसफार्मर के पास अपने वाहन खड़े नहीं करने चाहिए। फिलहाल लगभग सभी ट्रांसफार्मरों को फेसिंग से कवर किया जा चुका है, जो बचे हैं उन्हें भी कवर करवाया जा रहा है। तापमान और ओवरलोडिंग के कारण ट्रांसफार्मरों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं, ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाई जा रही है।

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