सांस के रोगी प्रदूषण से बचने के लिए खरीद रहे हैं एयर प्यूरिफायर, यह भी पूरी तरह से प्रभावी नहीं
- प्रदूषण के बढ़ने से सांस के मरीजों को हो रही है दिक्कत
मोहसिन खान
गाजियाबाद। सांस के रोगी प्रदूषण से बचने के लिए एयर प्यूरीफायर खरीद रहे हैं। सबसे ज्यादा एयर प्यूरीफायर दिल्ली सीमा से सटे कौशांबी में खरीदे गए हैं। यहां 40 फीसदी लोगों ने एयर प्यूरीफायर लगवा लिया है। इसके बाद भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है। घर में भी मास्क पहनकर रहना पड़ रहा है। जिले में ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) लागू है। तमाम प्रयासों के बाद सर्दी में प्रदूषण की धुंध वायुमंडल में छा जाती है। हर साल सर्दी में गाजियाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 को पार चला जाता है। सांस के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती। कुछ लोगों ने प्रदूषण से बचने के लिए मकान के सभी बेडरूम में एयर प्यूरीफायर लगवा लिए हैं।
ऐसे करता है एयर प्यूरीफायर काम
इंजीनियर शिव नारायण ने बताया कि प्यूरीफायर में फिल्ट्रेशन सिस्टम लगा रहता है। एंट्री लेवल के ज्यादातर प्यूरीफायर में तीन परत के प्री-फिल्टर, हेपा फिल्टर और कार्बन फिल्टर सिस्टम होते हैं। पाल्यूटेंट, धूल के कणों और गंध को हटाने का काम करता है। इससे प्रदूषण कम तो होता है लेकिन पूरी तरह इससे प्रदूषण खत्म नहीं होता है।
नहीं मिल रही राहत
सांस के मरीज महावीर सिंह ने बताया कि एयर प्यूरीफायर लगाने के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिल रही है। एक्यूआई 300 के पार होते ही सांस उखड़ने लगती हैं। जब तक प्रशासन प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं करता तब तक समस्या का हल होना मुश्किल है। कौशांबी के धौलगिरी अपार्टमेंट में रहने वाले बीसी रस्तौगी ने बताया कि उन्होंने 15-15 हजार रुपये के दो एयर प्यूरीफायर खरीदकर बेडरूम में लगवाए हैं। उनके अपार्टमेंट में काफी संख्या में लोगों ने प्यूरीफायर लगवा लिए हैं। कौशांबी के दिनेश ने बताया कि उन्होंने अपने बेडरूम में एयर प्यूरीफायर लगवा लिया है।
ऐसे रखें सेहत का ख्याल
- गुड़ का सेवन करने से राहत मिलती है।
- घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर लगाएं।
- रोजाना भांप लेना वायु प्रदूषण से राहत देता है।
- प्रतिदिन चार लीटर पानी पीना चाहिए।
- मार्निंग वाक की बजाय घर पर करें व्यायाम
- दिल के मरीजों को बरतनी चाहिए सावधानी।
- विटामिन-सी और ओमेगा तीन का सेवन फायदेमंद है।
- लहसुन और अदरक का सेवन फायदेमंद है।