सज रही रामनगरी... सुर्खी, चूना और दाल से पुराने वैभव में लौट रहे 37 मठ-मंदिर
रामनगरी सज रही है। 37 मठ-मंदिर पुराने वैभव में लौट रहे हैं। इन्हें सैकड़ों साल पुरानी पद्धति लखौरी ईंटों को सुर्खी, चूना और दाल के मिश्रण की जुड़ाई से संवारा जा रहा है।
सुग्रीव किला, सीताकुंड, भरतकुंड, लक्ष्मीसागर, दशरथ समाधि स्थल, जानकी महल, गुरुद्वारा ऋषभदेव मंदिर, जन्मेजय कुंड, दंत धावन कुंड समेत 37 मठ-मंदिरों का वैभव लौटाया जा रहा है। ये मंदिर स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने हैं। इसलिए इन्हें सैकड़ों साल पुरानी पद्धति लखौरी ईंटों को सुर्खी, चूना, दाल के मिश्रण की जुड़ाई से संवारा जा रहा है।
मंदिरों में फसाड सोलर लाइट भी लगाई गई है। इससे रात का नजारा अद्भुत दिखता है। पर्यटन विशेष सचिव अश्विनी पांडेय ने बताया कि 80 फीसदी काम पूरा हो गया है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले सभी मंदिरों को संवार लिया जाएगा।
वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के रूप में चिह्नित करने वाले 10 मानक
- मानव रचनात्मकता का उत्कृष्ट प्रतिनिधित्व
- वास्तुकला एवं स्मारकों में निहित मानव मूल्य
- सांस्कृतिक परंपरा की प्राचीनता एवं निरंतरता
- भू-दृश्य एवं वास्तु की उत्कृष्टता
- परंपरागत निवास स्थल
- सांस्कृतिक उत्तरजीविता
- जीवंत परंपरा एवं अमूर्त धरोहर
- प्राकृतिक सुंदरता
- पारिस्थितिकी, जैव विविधता
- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पूर्व इन सभी ऐतिहासिक मंदिरों का बाहरी स्वरूप पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। हमने पुरानी पद्वति से काम किया है ताकि वास्तुकला संरक्षण में पुराने चित्रों को उसी स्वरूप में ला सके जैसे कि वह सैकड़ों वर्ष पहले थे। कई मंदिरों में 80 फीसदी से अधिक काम हो गया है। अगले चार महीने में सौ फीसदी काम पूरा हो जाएगा। - अश्विनी पांडेय, विशेष सचिव, पर्यटन
जनसुविधाओं का ध्यान
मंदिरों के पुराने स्वरूप को लौटाने के साथ ही इनके आसपास जन सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है। तीर्थयात्री और पर्यटकों के लिए खानपान, स्वच्छता, शौचालय तथा उनके बैठने का काम भी लगभग पूरा होने को है।