प्रयागराज _प्रयागराज में प्रतियोगी छात्रों ने किया प्रदर्शन..
प्राथमिक शिक्षा से बीएड के बाहर होने का विवाद ज़ोर पकड़ता जा रहा है
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को अपना एक फैसला सुनाया जिसमे ये कहा की बीएड प्राथमिक शिक्षा में अध्यापन से बाहर रहेगा। इस फैसले के बाद से सभी बीएड धारक सड़क पर उतर आए हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं की बीएड को प्राथमिक शिक्षा में अध्यापन के लिए मान्य किया जाए।
आइए समझते हैं की मामला क्या है
सरकारी विद्यालयों की प्राइमरी कक्षा में अध्यापन हेतु अभी तक दो योग्यताएं मुख्य रूप से प्रचलित थी जिसमे बीटीसी व बीएड थी इन डिग्री धारकों को शिक्षक पद हेतु योग्य माना जाता था NCTE ने भी एक नोटिफिकेशन बीएड के पक्ष निकाला था जिसमे कहा गया था की बीएड डिग्री धारक प्राथमिक शिक्षा में अध्यापन कर सकते हैं लेकिन उन्हें 6 माह का ब्रिज कोर्स करना होगा।बीटीसी केवल प्राथमिक शिक्षा तक ही मान्य थी वही बीएड प्राथमिक से इंटरमीडिएट तक अध्यापन के लिए मान्य था, इसी कारण पिछले कई वर्षो में लाखो की तादात में प्रतियोगी छात्रों ने बीएड को प्राथमिकता दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले से लाखो की तादात में बीएड डिग्री धारकों के सामने बेरोजगारी की एक अप्रत्याशित स्थिति पैदा हो गई है।
छात्रों की मांगा क्या है
फैसले के बाद से बीएड डिग्री धारक सड़क पर है और चाहते हैं कि सरकार बीएड को प्राथमिक शिक्षा में मान्य करे क्योंकि प्राथमिक विद्यालय में ही चुनावो के पहले या नई सरकार के निर्वाचित होने पर लाखो की तादात रिक्तियां निकलती हैं और 2024 चुनाव करीब है और बीएड छात्र आगामी चुनाव से आशावान थे।
इस विवाद का हल क्या है
छात्रों का मांग है की राज्य सरकार व केंद्र सरकार अध्यादेश लाए और बीएड को प्राथमिक शिक्षा में मान्य करे । शिक्षा राज्य व केंद्र सरकार दोनो के अधिकार क्षेत्र में आता है इसलिए छात्र तर्क दे रहे हैं की जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार अध्यादेश लाके सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जो की दिल्ली सरकार के पक्ष में था उसे पलट सकती है तो लाखो बेरोजगार युवाओं के भविष्य के लिए सरकार को ये प्रयास जरूर करना चाहिए.|
रिपोर्ट - अनवर जैदी { प्रयागराज }