UP में तेजी से कम हुई गरीबी, 3.43 करोड़ लोग दायरे से बाहर; नीति आयोग द्वारा जारी किये गये आँकड़े

Update: 2023-07-18 10:45 GMT

उत्तर प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-21 की अवधि में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी की गिरफ्त से बाहर आये हैं। 2015-16 में जहां राज्य में 37.68% लोग गरीबी में थे, वहीं 2019-21 में इनकी संख्या घटकर 22.93% रह गई.शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी अधिक तेजी से कम हुई है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 2015-16 में 44.29% लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे में थे, वहीं 2019-21 में इनकी संख्या घटकर 26.35% हो गई। वहीं, 2015-16 में शहरी इलाकों में 17.72% लोग गरीबी के चंगुल में फंसे हुए थे, जिनकी संख्या 2019-21 में घटकर 11.57% रह गई है.

नीति आयोग ने सोमवार को आंकड़े जारी किए

सोमवार को नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट में इन तथ्यों को उजागर किया गया है। यह सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर से जुड़े कुल 12 मानकों पर आधारित है। ऐसा माना जाता है कि बहुआयामी गरीबी को कम करने में केंद्र और राज्य सरकारों की गरीब कल्याण योजनाओं की बड़ी भूमिका है।


पिछड़े जिलों में बहुआयामी गरीबी में और कमी

विकसित जिलों की अपेक्षा पिछड़े जिलों में बहुआयामी गरीबी में अधिक कमी आयी है। इस दौरान राज्य में बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने वाले लोगों में सबसे ज्यादा 29.64% लोग महाराजगंज से हैं। गोंडा दूसरे और बलरामपुर तीसरे नंबर पर है। सबसे कम 3.01 प्रतिशत की कमी गौतमबुद्धनगर में आई है। इस लिहाज से लखनऊ में 3.68 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.|

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