दबिश का खेल खेलती रही पुलिस, पहले शहर से बाहर... फिर बचाव के लिए कोर्ट पहुंच गया था एसओ
आगरा जमीन कब्जा मामले में पुलिस दबिश का खेल खेलती रही। और आरोपी एसओ पहले शहर से बाहर गया फिर बचाव के लिए कोर्ट पहुंच गया।
उत्तर प्रदेश के आगरा में जमीन कब्जाने के मामले में मुकदमे के बाद पुलिस दबिश का खेल खेलती रही और एसओ अपना बचाव करता रहा। पहले शहर से बाहर चला गया। बाद में कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थनापत्र दे दिया। हालांकि वह इसमें कामयाब नहीं हो सका। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।
जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में एक युवती की आत्महत्या का मामला आया था। एक युवती की पिटाई भी सुर्खियों में आई थी। तब भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे थे। थाने पर हंगामा हुआ था। जमीन के खेल में भी बचने के लिए दरोगा फर्द में शामिल नहीं हआ। बाद में डीजीपी तक मामला पहुंचा तो पीड़ित परिवार की होटल में डील कराने का भी प्रयास किया। मगर, सफल नहीं हुआ। एक और मुकदमा दर्ज हो गया।
फर्द में शामिल नहीं जितेंद्र कुमार
पुलिस ने रवि कुशवाह सहित तीन की गांजे में गिरफ्तारी की। फिर रवि की पत्नी और बहन को शराब बरामद कर जेल भेजा। मुकदमों की फर्द में एसओ जितेंद्र कुमार का नाम कहीं नहीं है। इसमें थाने के दरोगा शामिल हुए। सवाल उठता है कि जब एसओ फर्द में शामिल नहीं तो आरोप साबित करना मुश्किल होगा? उधर, जो पुलिसकर्मी फर्जी मुकदमे की फर्द में शामिल हुए, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। वही बताएंगे कि गांजा कहां से आया? शराब बरामद की गई तो कहां से लाई गई?
हर बार पहलवान का ही नाम
सूत्रों ने बताया कि एसओ की गिरफ्तारी के बाद सवाल पर सवाल किए गए। उससे कब्जे की साजिश में शामिल लोगों के नाम पूछे गए। मगर, वो सिर्फ बिल्डर के गुर्गे पुरुषोत्तम पहलवान का ही नाम लेता रहा। यही कहा कि हर बार सूचना पहलवान ही देता था। वह नहीं जानते थे कि जमीन के लिए साजिश की जा रही है। दोनों बार दबिश पहलवान की सूचना पर दी गई थी। गांजा और शराब बरामद की गई।
मगर, सवाल यह है कि पुलिस ने दो बार दबिश दी लेकिन यह नहीं सोचा कि पहलवान एक ही परिवार की सूचना क्यों दे रहा है। जिस परिवार के बारे में बता रहा है, उसका आपराधिक इतिहास क्या है? वह जिस जमीन पर काबिज हैं, उस पर कब्जा तो नहीं किया जाना है? बाद में जमीन पर दीवार बनाई गई। वह एसओ ने क्यों नहीं देखा। हर बार सूचना मिलने पर गांजा और शराब बरामद करने के बाद जमीन पर कब्जे की शिकायत क्यों नहीं आई?
जांच करने आई टीम, तब हुई बिल्डर से मुलाकात
एसओ से पूछताछ में बिल्डर कमल चौधरी से संबंध के बारे में भी पता किया गया। यही कहा कि बिल्डर से उनकी पूर्व से कोई मुलाकात नहीं थी। मुकदमे दर्ज करने के मामले में डीजीपी से शिकायत के बाद लखनऊ से टीम आई थी। तब उन्हें पीएसी गेस्ट हाउस में बुलाया गया था। तब पहली बार बिल्डर से मुलाकात हुई।
उन्होंने ज्यादा बात नहीं की। उन्हें डर था कि पूरे प्रकरण में कार्रवाई हो सकती है। उधर, पीड़ित परिवार की ओर से धर्मेंद्र वर्मा पैरवी में लगे थे। धर्मेंद्र ने ही कमल चौधरी से मीटिंग कराने को कहा था। उसके कहने पर ही वो होटल पीएल पैलेस में गए थे। वहां भी किसी को नहीं धमकाया।
ये हैं सवाल
गांजा और शराब जिस जगह से बरामद की गई? वहां पर पहले कभी पुलिस क्यों नहीं पहुंची?
शराब बिक्री हो रही थी तो पुलिस के पास सूचना पहलवान ने ही क्यों दी?
हर बार विवादित रहने वाले एसओ की तैनाती आखिर कौन करा रहा था?
पहलवान से एसओ की कब और कहां मुलाकात हुई? कब-कब उनके बीच बात हुई थी?
रवि कुशवाह का परिवार खुद को निर्दोष बता रहा था, लेकिन पुलिस ने उनकी बात को अनसुना क्यों कर दिया?