स्वामी रामभद्राचार्य की रामकथा सुनकर राममय हुआ नॉएडा

Update: 2023-07-31 07:16 GMT

नोएडा शहर के सबसे बड़े मैदान नोएडा स्टेडियम में चल रहे स्वामी रामभद्राचार्य की रामकथा  की गूंज से राममय हुआ नॉएडा। इस कथा का आयोजन भाजपा नेता व जेवर क्षेत्र के विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह के देख रेख में हो रहा है।  पंकज सिंह प्रारंभिक पूजा में शामिल हुए और भक्तों को संबोधित करते हुए गुरुजी की पवित्र कथा के लिए नोएडा को चुनने के लिए धन्यवाद दिया। ऐसा बताया जा रहा की  स्वामी रामभद्राचार्य की कथा सुनने आये लोगों की इतनी भीड़ हो गई  की क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने पर आयोजक को पंडाल में बैठने की अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ी. एक बार तो अयोध्या नरेश श्री राम  के नाम पर पूरा पंडाल झूमने लगा , राम नाम में इतनी ताकत है की लोग अपने सारे परेशानियों को भूल राम नाम के रश में दुब गए। कथा को आगे बढ़ाते हुए स्वामी जी ने  कहा की देश के सर्वश्रेष्ठ  पद पर हमेसा राष्ट्र के मूल निवासियों को ही बैठना चाहिए। जातिवाद पे भी बात करते हुए स्वामी जी ने कहा की भगवान राम ने कभी किसी के जाती धर्म के आधार पर न्याय में उसके साथ भेद नहीं किया। इसलिए आज तक किसी राष्ट्र के लिए रामराज्य की परिकल्पना ही सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

मोदी - योगी पर क्या बोले रामभद्राचार्य

रामभद्राचार्य जी ने कहा की आज के समय में मोदी - योगी राम राज की परिकल्पना के अनुरूप कार्य कर रहे हैं, इसलिए पुरे राष्ट्र को इनका साथ देना चाहिए। मोदी और योगी ने वो काम किया है जो अभी तक किसी और ने नहीं की है। उन्होंने ये भी कहा की बिना राम के राष्ट्र का मंगल नहीं हो सकता।

कौन है स्वामी रामभद्राचार्य ?

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में जन्म लिए रामभद्राचार्य जी 2 साल की उम्र में ही अंधे हो गए थे और 17 साल की उम्र तक उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली बाउजूद इसके वे बिना किसी औपचारिक शिक्षा के 22 भाषाएं बोल सकते हैं। रामभद्राचार्य संत तुलसीदास के नाम पर चित्रकूट में एक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान चलाते है जिसका नाम तुलसी पीठ है , वे इसके संस्थापक और प्रमुख भी है। इसी के साथ चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक भी है और इसके आजीवन चांसलर है, जहां विशेष रूप से विकलांग छात्रों को स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शिक्षा दी जाती है।

उन्होंने 100 से अधिक किताबें भी लिखी हैं जिनमें चार महाकाव्य कविताएं है। रामभद्राचार्य जी को संस्कृत व्याकरण , न्याय और वेदांत सहित विविध क्षेत्रों में प्रकांड ज्ञान के लिए भी जाना जाता है । मात्र 3 साल की उम्र में ही उन्होंने अवधी में एक कविता लिख डाली थी , जिसे उन्होंने अपने दादा जी को सुनाया था। बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री श्री रामभद्राचार्य के परम शिष्य हैं

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