अतीक गैंग का फाइनेंसर था नफीस बिरयानी, शाइस्ता को हर महीने पहुंचाता था 25 से 30 लाख रुपये
शहर के मशहूर ईट ऑन रेस्टोरेंट के मालिक नफीस बिरयानी ने बिरयानी बेचकर अकूत दौलत इकट्ठा की थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अतीक के जेल जाने के बाद वह शाइस्ता को हर महीने 25 से 30 लाख रुपये देता था। अतीक के परिवार ही नहीं मुख्य गुर्गों पर भी नफीस अच्छी खासी रकम खर्च करता था।
अतीक गैंग के फाइनेंसर नफीस बिरयानी की रविवार देर रात एसआरएन अस्पताल में मौत हो गई। नफीस को दिन में करीब साढ़े 11 बजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले वह एक रात जेल अस्पताल में भी भर्ती रहा। नफीस को पुलिस ने 22 नवंबर को नवाबगंज में मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था।
उसके पैर में गोली लगी थी। उमेश पाल हत्याकांड में नफीस पर इनाम घोषित किया गया था। उमेश की हत्या में उसकी क्रेटा कार का इस्तेमाल हुआ था। वहीं, सोमवार की शाम नफीस को काला डांडा कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक कर दिया गया।
अतीक गैंग का फाइनेंसर था नफीस
शहर के मशहूर ईट ऑन रेस्टोरेंट के मालिक नफीस बिरयानी ने बिरयानी बेचकर अकूत दौलत इकट्ठा की थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अतीक के जेल जाने के बाद वह शाइस्ता को हर महीने 25 से 30 लाख रुपये देता था। अतीक के परिवार ही नहीं मुख्य गुर्गों पर भी नफीस अच्छी खासी रकम खर्च करता था। बिरयानी के अलावा नफीस रियल एस्टेट के धंधे से भी अच्छी खासी कमाई करता था। अतीक-अशरफ के नाम पर विवादित जमीन की खरीद-फरोख्त भी वह करता था।
22 नवंबर को मुठभेड़ में गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने नफीस से पूछताछ की तो कई खुलासे हुए। उसने बताया कि उसकी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा अतीक के परिवार को जाता था। अतीक के जेल जाने के बाद वह हर महीने शाइस्ता को 25 से 30 लाख रुपये देता था। इसके अलावा शाइस्ता और बच्चों को जब भी अतीक के मिलने साबरमती जाना होता, हवाई जहाज के टिकट से लेकर पांच सितारा होटल में रुकने की व्यवस्था करना उसकी जिम्मेदारी में शामिल था।
यही नहीं अतीक के मुख्य गुर्गों को भी वह फाइनेंस करता था। दरअसल बिरयानी बेचने के साथ ही नफीस ने रियल इस्टेट का धंधा भी शुरू कर दिया था। विवादित जमीनों की खरीद फरोख्त से भी वह पैसे कमाता था। अतीक के गुर्गे जमीन के ऐसे विवादों को निपटाने में नफीस की मदद करते थे।
कमाई करोड़ों की दौलत, पोस्टमार्टम हाउस में पहुंचे सिर्फ पांच आदमी
नफीस बिरयानी ने महज चंद सालों में करोड़ों की कमाई की। हालांकि, अंत में यह पैसा उसके काम नहीं आया। उसके भाई वसीम और नसीम भी यही बात कहकर रोते रहे। सोमवार को पोस्टमार्टम हाउस में उसके दो सगे भाइयों समेत महज पांच लोग पहुंचे।
हालांकि, उसके घर पर और काला डांडा कब्रिस्तान में भीड़ थी। पोस्टमार्टम हाउस में दोनों भाइयों के अलावा मो. अहमद, नसीम खान और एहसानुल हक मौजूद थे। तमाम मीडियाकर्मी उनसे सवाल पूछते रहे लेकिन वे चुप्पी साधे रहे। नफीस की बीमारी के बारे में भी उन्होंने कुछ नहीं कहा।
आपको बता दें कि शहर के मशहूर ईट ऑन रेस्टोरेंट का मालिक और अतीक गैंग का फाइनेंसर नफीस अहमद उर्फ नफीस बिरयानी (52) अटाला के गुलाबबाड़ी का रहने वाला था। उमेश पाल हत्याकांड में कातिलों ने जिस क्रेटा कार का इस्तेमाल किया था, वह नफीस की ही थी। पुलिस ने घटना के करीब नौ महीने बाद नफीस को वांछित घोषित कर दिया था और उसके ऊपर इनाम भी रखा था।
22 नवंबर को नवाबगंज इलाके में उसे पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान उसके बाएं पैर में गोली भी लगी थी। घायल नफीस को एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं, नौ दिसंबर को उसे एसआरएन अस्पताल से जेल ले जाया गया था। तब से वह नैनी जेल में बंद था। घायल होने के कारण नफीस को बैरक में नहीं बल्कि जेल अस्पताल में ही रखा गया था।
शुक्रवार रात नफीस ने सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की। रात भर वह भर्ती रहा। रविवार सुबह तक उसकी तकलीफ बढ़ गई। पेट में दर्द भी शुरू हो गया। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया। फार्मासिस्ट और तीन सिपाहियों के साथ उसे एसआरएन अस्पताल भेजा गया। तब तक कोतवाली से भी फोर्स पहुंच गई थी।
उसके घर वालों को भी सूचना भेज दी गई। एसआरएन अस्पताल पहुंचने के बाद भी नफीस की हालत बिगड़ती गई। शाम को उसे वेंटीलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों के मुताबिक रात में एक बजे उसकी मौत हो गई। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद नफीस के शव को गुलाबबाड़ी स्थित घर ले जाया गया। देर शाम काला डांडा कब्रिस्तान में उसे सुपुर्दे खाक कर दिया गया।
नफीस को सीवियर हार्ट अटैक की पोजीशन में भर्ती किया गया था। उसे सांस लेने में दिक्कत थी। उसे वेंटीलेटर पर भी रखा गया था लेकिन देर रात उसकी मौत हो गई। -डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज
नफीस को जब जेल लाया गया था तो उसे चलने में तकलीफ थी। स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए उसे बैरक में न रखकर जेल अस्पताल में रखा गया था। शनिवार को ज्यादा तकलीफ होने पर उसे एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया गया था। -रंग बहादुर सिंह पटेल, वरिष्ठ जेल अधीक्षक |